कब्जे की फिराक में चीन, पाकिस्तान में  बसाएगा 5 लाख चीनी नागरिक

Tuesday, Aug 21, 2018 - 02:31 PM (IST)

बीजिंगः पाकिस्तान को लेकर चीन के इरादे नेक नजर नहीं आ रहे हैं। एक तरफ पाकिस्तान के नए पीएम इमरान खान देश को बदलने व आर्थिक सुधार की बातें कर रहें हैं  और दूसरी तरफ चीन का इरादा धीरे-धीरे पाक पर कब्जा बढ़ाने का है। चीन सरकार पाकिस्तान के ग्वादर में 5 लाख चीनी नागरिकों को बसाने के लिए एक अलग शहर बनाने जा रही है। यह चीन के एक कॉलोनी (उपनिवेश) की तरह होगा और इसमें सिर्फ चीनी नागरिक रहेंगे। ऐसा लगता है कि औपनिवेशिक काल वापस आ रहा है जिसमें चीन नए जमाने का साम्राज्यवादी देश बन रहा है। 

इसके पहले चीन अपने नागरिकों के लिए अफ्रीका और मध्य एशिया में ऐसे परिसर या उपनगर बना चुका है। आरोप हैं कि चीन सरकार पूर्वी रूस और उत्तरी म्यांमार में जमीन खरीदने जा रही है। कई जगहों पर चीनी कॉलोनियों को लेकर स्थानीय नागरिकों में असंतोष भी रहा है। पाकिस्तान के ग्वादर में करीब 15 करोड़ डॉलर की लागत से बनने वाला यह शहर चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) का हिस्सा होगा।दक्ष‍िण एशिया में चीन की यह अपने तरह की पहली कॉलोनी होगी।

इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, साल 2022 तक तैयार होने वाले इस शहर में करीब 5 लाख चीनी नागरिकों को बसाने के लिए मकान बनाए जाएंगे। असल में सीपीईसी के तहत पाकिस्तानी बंदरगाह ग्वादर में चीन द्वारा कई वित्तीय जिले बनाने की योजना है। इन जिलों में काम काम करने वाले चीनी कामगारों के रहने के लिए उक्त शहर बनाया जा रहा है।चाइना-पाक इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन ने ग्वादर में 36 लाख वर्ग फुट जमीन खरीदी है और इसमें चीनी लोगों के रहने के लिए बस्तियां बनाई जाएंगी। चीन ने पाकिस्तान के पाइपलाइन, रेलवे, हाईवे, मोबाइल नेटवर्क, पावर प्लांट, औद्योगिक इलाकों में भारी निवेश किया है।ये सब निवेश बॉर्डर रोड इनिशिएटिव (BRI) और CPEC के तहत किए गए हैं।

गौरतलब है कि सीपीईसी चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) की प्रमुख परियोजना में से एक है।यह चीन के सीक्यांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ेगी, जिससे चीन की पहुंच अरब सागर तक हो जाएगी। यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है, जिसकी वजह से भारत इसका विरोध करता रहा है। पिछले साल बीजिंग में वन बेल्ट वन रोड शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें अमेरिका और जापान समेत कई एशियाई देशों ने हिस्सा लिया था. लेकिन भारत ने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का हवाला देते हुए इस शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया था.

Tanuja

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