''अनुसंधान और निवेश के मामले में चीन, भारत से आगे''

Friday, Jul 05, 2019 - 06:25 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: जर्मनी के नोबेल पुरस्कार विजेता क्लॉस वोन क्लिट्जिंग ने कहा कि अनुसंधान, निवेश और रणनीति के मामले में चीन काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है जबकि उसकी तुलना में भारत में 'लालफीताशाही' संचार और अनुसंधानों के बीच बाधा बन रही है। अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन एवं राष्ट्रीय विज्ञान बोर्ड के मुताबिक 2018 में चीन, अमेरिका के बाद अनुसंधान और विकास पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाला दूसरा देश है।

1985 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित क्लिट्जिंग (76) ने  बताया कि भारत और चीन दुनिया में दो उभरते हुए खिलाड़ी है, लेकिन जब अनुसंधान की बात आती है तो चीन निवेश और रणनीति के लिहाज से काफी आगे आगे है।" क्लिट्जिंग ने लिन्डाऊ में रविवार को आधिकारिक रूप से शुरू हुई 69वीं लिन्डाऊ नोबेल विजेताओं की बैठक में कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था ने विज्ञान और नवाचार को नई रफ्तार दी है और उसने अनुसंधान तथा विकास में जबरदस्त निवेश किया है। उन्होंने कहा कि भारत की तुलना में चीन ने अधिक पेटेंट दर्ज कराए और शोध पत्रों में भी इसके नजीते काफी ऊंचाई छू रहे हैं।

चीन ने 2017 में, अनुसंधान एवं विकास पर सकल घरेलू उत्पाद का 2.1 प्रतिशत खर्च किया जबकि भारत ने एक प्रतिशत से भी कम खर्च किया। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन के अनुसार चीन ने 2016 में एक करोड़ 24 लाख पेटेंट के लिये आवेदन किया जबकि भारत (भारत के निवासी और गैर-निवासियों दोनों ने) 45,000 पेटेंट का आवेदन किया। चीन कृत्रिम मेधा, स्वचालित कारों और रोबोटिक्स में निवेश के मामले में भी भारत से काफी आगे है।

क्लिट्जिंग ने कहा कि ज्ञान विनिमय को बढ़ावा देने वैज्ञानिकों के लिये उदार वीजा नीति ने नवाचार में चीन को लंबी छलांग लगाने में मदद की है। उन्होंने कहा कि भारत में विज्ञान के अध्ययन की सामग्री काफी मजबूत है और मुझे ज्ञान विनिमय मंचों से काफी निमंत्रण मिलते रहे हैं। लेकिन मुझे वहां जाने के लिये वीजा की जरूरत होती है और चीन के अलग भारत में लालफीताशाही बहुत है। चीन में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के लिये विशेष दीर्घकालिक वीजा की व्यवस्था है। भारत को मौजूदा 30 दिन की वीजा नीति के बजाय पांच साल का वीजा देना चाहिये।

vasudha

Advertising