नेपाल में प्रचंड सरकार बनते ही बढ़ीं चीन की गतिविधियां, अर्थशास्त्रियों ने जताई चिंता
Sunday, Jan 29, 2023 - 12:13 PM (IST)
काठमांडूः नेपाल में साल 2022 के अंतिम हफ्ते पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की सरकार बनने के बाद देश में चीन की गतिविधियां अधिक बढ़ गई हैं। हैरानी की बात तो यह रही कि 26 दिसंबर को ‘प्रचंड’ ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और 27 दिसंबर 2022 को काठमांडू-केरुंग रेलवे का विस्तृत अध्ययन करने के लिए एक चीनी विशेषज्ञ टीम नेपाल भी पहुंच गई। केरुंग-काठमांडू रेलवे नेपाल में चीन के बीआरआई के तहत नौ विकास परियोजनाओं में से एक है। माओवादी अध्यक्ष दहल के नेतृत्व वाली सरकार के गठन के तुरंत बाद नेपाल में इस टीम के आगमन से चीन का दखल अधिक स्पष्ट हो गया है।
इससे पता चलता है कि नेपाल बीजिंग के दक्षिण एशिया में आगे बढ़ने के पक्ष में हो सकता है। यह खुलासा ईपरदाफास की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार प्रचंड के वैचारिक पिता माओत्से तुंग की 130वीं जयंती पर दहल ने नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। नेपाल में 20 नवंबर 2022 को आम चुनाव में दहल के माओवादी केंद्र ने खुद को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 32 सीटें जीतकर तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित किया। प्रधानमंत्री के रूप में दहल की नियुक्ति पर काठमांडू में चीनी दूतावास ने उन्हें सबसे पहले बधाई दी थी।
26 दिसंबर को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि नेपाल के पारंपरिक मित्र और पड़ोसी के रूप में चीन-नेपाल के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व देता है। हम नई नेपाली सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं, ताकि मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ाया जा सके, उच्च गुणवत्ता वाले बेल्ट और सड़क सहयोग को आगे बढ़ाया जा सके। इसके अलावा विकास और समृद्धि के लिए स्थायी मैत्री की विशेषता वाली हमारी रणनीतिक सहयोगी साझेदारी को नई गति दी जा सके और हमारी दोनों जनता के लिए अधिक लाभ पहुंचाए। भले ही काठमांडू में दहल के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट सरकार आर्थिक समृद्धि के लिए बीजिंग के समर्थन को लेकर उत्साहित और आशावादी है, लेकिन काठमांडू के विशेषज्ञ और वरिष्ठ अर्थशास्त्री BRI के बारे में चिंता व्यक्त करते हैं।
वे चिंतित हैं कि बड़े पैमाने पर परियोजनाओं के कार्यान्वयन से नेपाल श्रीलंका की तरह कर्ज के जाल में फंस सकता है, जो लंबे समय में उसकी संप्रभुता को कमजोर कर सकता है। हाल ही में, मीडिया ने बताया कि नेपाल की उत्तरी सीमा पर चीन की सलामी-स्लाइस रणनीति के परिणामस्वरूप चीन द्वारा उत्तरी सीमा के 10 स्थानों पर नेपाल की 36 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर लिया गया है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी सर्वे दस्तावेज के मुताबिक, चीन ने उत्तरी सीमा पर 10 जगहों पर नेपाल की 36 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर लिया। इसी तरह, गृह मंत्रालय द्वारा किए गए अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला है कि नेपाल की राज्य नीति में सीमा के मुद्दों को शामिल करना आवश्यक है।