तिब्बती स्कूलों को चीनी भाषा अपनाने के लिए मजबूर कर रहा चीन

Saturday, Aug 28, 2021 - 02:41 PM (IST)

बीजिंग: तिब्बत पर आधिपत्य जमाने के बाद चीन  हर तरह से तिब्बती समुदाय पर अपना कंट्रोल करना चाहता है। तिब्बती छात्रों को सेन्य परीक्षण का दबाव बनाने के बाद बीजिंग अब स्कूलों में  चीनी भाषा लिखने और बोलने के लिए मजबूर कर रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन सरकार तिब्बत में स्कूल जाने वाले छात्रों को चीनी भाषा के इस्तेमाल के लिए मजबूर कर रही है।  चीनी अधिकारियों ने एक स्थानीय स्कूल को चीनी भाषा में कक्षा निर्देश प्रदान करने में विफल रहने पर उसे बंद करने की धमकी दी है ।

 

रेडियो फ्री एशिया ने सूत्रों के हवाले से बताया कि यह घटनाक्रम पश्चिमी चीन के सिचुआन प्रांत में स्थित ग्यालटेन स्कूल से सामने आया है, जो तिब्बती आबादी वाला क्षेत्र है। सूत्रों ने बताया कि इस स्कूल में वर्ष की शुरुआत में वार्षिक प्रवेश परीक्षा सभी चीनी भाषा में आयोजित की गई थी । जानकारी के अनुसार अगर स्कूल इन बदलावों को लागू करने से इनकार करता है, तो चीनी सरकार ने इसे बंद करने की धमकी दी है। RFA ने बताया कि हालांकि स्कूल की स्थापना एक तिब्बती लामा ने की थी  लेकिन यह एक निजी स्कूल के रूप में संचालित नहीं होता है। यह चीनी सरकार के तहत पंजीकृत और प्रशासित है और एक सरकारी स्कूल की तरह चलता है ।

 

इस बीच, बीजिंग छात्रों को सरकारी स्कूलों में जाने के लिए प्रेरित कर रहा है जहां उन्हें पूरी तरह से चीनी भाषा में पढ़ाया जाएगा। इसके अलावा चीन की शी जिनपिंग की सरकार सैन्य शिक्षा की आड़ में इन छात्रों को कम्युनिस्ट विचारधारा को अपनाए जाने के लिए बाध्य करने की योजना पर काम कर रही है। छात्रों को प्रशिक्षण शिविरों में भाग लेने के लिए भेजा जा रहा है।

 

रेडियो फ्री एशिया ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन की तिब्बत में सांस्कृतिक संबंधों को कमजोर करने की साजिश का यह एक हिस्सा है। तिब्बत के इन बच्चों के पास अब गर्मियों और सर्दियों की छुट्टी में सैन्य प्रशिक्षण में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं होने वाला है। सैन्‍य प्रशिक्षण के माध्यम से इन मासूमों का ब्रेनवाश किया जाएगा। मालूम हो कि पहले भी तिब्बत की सांस्कृतिक विरासत को खत्‍म करने के लिए चीन कई तरह की योजनाएं लाता रहा है। 

Tanuja

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