भारत को लेकर अब चीन ने मानी ये गलती

Saturday, Feb 25, 2017 - 03:43 PM (IST)

बीजिंगः भारत के विज्ञान और तकनीकी मामलों के जानकारों की अनदेखी को चीन अब गलती मान रहा है। इस गलती में सुधार करते हुए देश को उच्च तकनीकी के जानकार भारतीय प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए अविलंब प्रयास होना चाहिए।  इससे देश में नई खोजों की गति बनी रहेगी। भारत के विषय में सरकारी अखबार ने अरसे बाद सकारात्मक रिपोर्ट प्रकाशित की है।  ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित लेख के अनुसार भारतीय प्रतिभा के आंकलन में चीन ने गलती की है। इसी का नतीजा है कि भारतीय प्रतिभा अमरीका और यूरोप चली गई।

भारतीय प्रतिभा को आकर्षित करने के लिए जो उपाय किए जाने चाहिए थे वे गलतफहमी के चलते नहीं किए गए। हाल के वर्षों में तकनीकी से जुड़े रोजगार में अप्रत्याशित उछाल आया है। इसका फायदा उन स्थानों को मिला जहां पर शोध और विकास की ज्यादा संभावनाएं हैं। कुछ बड़ी कंपनियों ने स्थापित होने के लिए चीन की जगह भारत को प्राथमिकता दी क्योंकि वहां पर कम वेतन में अच्छे लोग मिल जाते हैं।अमरीकी सॉफ्टवेयर कंपनी सी.ए. टेक्नोलॉजीज का उदाहरण देते हुए अखबार ने लिखा है कि चीन में उसकी महज 300 लोगों की शोध और विकास की टीम है  जबकि भारत में इसी कार्य के लिए कई साल से उसने 2000 लोग लगा रखे हैं। बड़ी युवा आबादी के चलते भारत कंपनियों के लिए आकर्षक स्थान बन गया है। 

अखबार ने लिखा है कि दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बन रहा चीन तकनीकी क्षेत्र में इस भूल को बनाए नहीं रख सकता। अमरीका-चीन ने हाल के वर्षों में शोध-अनुसंधान कार्यों के लिए अरबों डॉलर का बजट तय किया लेकिन पर्याप्त कार्यबल की कमी के चलते उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई। इसका एक बड़ा कारण देश की बड़ी आबादी की बढ़ती उम्र भी है। अखबार ने अमेरिका की सिलिकॉन वैली का उदाहरण देते हुए लिखा है कि वहां कार्यरत ज्यादातर सॉफ्टवेयर डेवलपर अन्य देशों से आए हुए हैं। उससे सीख लेते हुए चीन को भी विदेशी पेशेवरों को आकर्षित करना चाहिए।शायद चीनी सरकार को भी इसका एहसास हो गया है। इसीलिए सन 2016 में 1,576 विदेशियों को चीन में स्थायी निवास की अनुमति दी गई जो उसके पूर्व के वर्ष की तुलना में दो गुनी से ज्यादा थी।

 
 

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