बांग्लादेश का एक और भारत विरोधी कदम: चीन से खरीदी  SY-400 मिसाइल, दक्षिण एशिया में  बढ़ेगा सुरक्षा खतरा !

punjabkesari.in Monday, Nov 03, 2025 - 06:44 PM (IST)

Dhaka: बांग्लादेश ने चीन से आधुनिक SY-400 (DF-12A) शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली खरीदने का औपचारिक निर्णय लिया है। यह खरीदारी देश की महत्वाकांक्षी “Forces Goal 2030” योजना के तहत की जा रही है, जिसका उद्देश्य सेना को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना है।रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिसाइल बांग्लादेश की सटीक-स्ट्राइक (precision strike) क्षमता को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी लेकिन इसके साथ ही दक्षिण एशिया में रणनीतिक असंतुलन और नई भू-राजनीतिक चिंताएं भी जन्म ले रही हैं।

 

 SY-400 क्या है 

  • चीनी SY-400 (या DF-12A) एक मॉड्यूलर, ट्रक-आधारित शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली है।
  • रेंज: 150 से 200 किलोमीटर तक
  • वारहेड क्षमता: 200 से 480 किलोग्राम
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: 8×8 ट्रक-आधारित TEL सिस्टम
  • यह मिसाइल भूमि-से-भूमि सटीक हमले करने में सक्षम मानी जाती है ।
  •  इसकी तुलना कई विशेषज्ञ रूसी Iskander-M प्रणाली से भी करते हैं।

 

बांग्लादेशी रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने इसे देश की “रक्षा विश्वसनीयता” को मजबूत करने वाला कदम बताया है। उन्होंने कहा कि “Forces Goal 2030” के तहत बांग्लादेश अपनी सेनाओं को आधुनिक तकनीक से लैस करना चाहता है ताकि देश की सीमाएं सुरक्षित रहें और क्षेत्रीय स्थिरता बनी रहे। हाल के वर्षों में ढाका ने चीन से J-10C लड़ाकू विमान, मानवरहित ड्रोन और नौसैनिक उपकरण भी खरीदे हैं।

 

अमेरिकी प्रभाव के आरोप 
कुछ राजनीतिक विश्लेषक और मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों के बाद बांग्लादेश और चीन की नजदीकी अमेरिकी नीति का अप्रत्यक्ष परिणाम है।हालांकि, व्हाइट हाउस और अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है। Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने स्पष्ट किया कि ढाका के आंतरिक या रक्षा संबंधी फैसलों में उसका कोई हस्तक्षेप नहीं है।

 

भारत की चिंताएं  
रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि SY-400 की तैनाती से भारत को अपने पूर्वोत्तर और बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत करनी होगी।कई रिपोर्टों में यह आशंका जताई गई है कि इन मिसाइलों की पहुंच सिलीगुड़ी कॉरिडोर तक हो सकती है, जो भारत की रणनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील “चिकन नेक” कड़ी है। हालांकि भारतीय रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि भारत के पास पहले से मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम, ब्रह्मोस मिसाइल, राफेल-स्कैल्प और सुखोई-30MKI प्लेटफॉर्म मौजूद हैं जो किसी भी संभावित खतरे से निपटने में सक्षम हैं।

 

तीनों ताकतों की नज़र
इस डील के बाद दक्षिण एशिया में भारत, चीन और अमेरिका तीनों की कूटनीतिक नीतियों पर असर पड़ सकता है। भारत इसे “रणनीतिक पुनर्संतुलन” के तौर पर देख रहा है, वहीं चीन इसे अपने रक्षा सहयोग की सफलता मान रहा है।अमेरिका की कोशिश है कि क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे और वह बांग्लादेश के साथ संवाद बनाए रखे। अगर बांग्लादेश ने इन मिसाइलों की पूर्ण तैनाती शुरू की, तो यह दक्षिण एशिया में सैन्य शक्ति के नए समीकरण को जन्म दे सकती है। 


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Content Writer

Tanuja