सोलोमन का चीन को झटका, कहा-सैन्य ठिकाना बनाने की इजाजत कभी नहीं देंगे

Saturday, Apr 02, 2022 - 01:23 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः चीन के साथ नए सुरक्षा गठबंधन पर अंतरराष्ट्रीय चिंताओं को दूर करने के प्रयास में सोलोमन द्वीपसमूह ने शुक्रवार को कहा कि वह अपने यहां चीन को सैन्य अड्डा बनाने की अनुमति नहीं देगा। बहरहाल, सोलोमन द्वीपसमूह के इस आश्वासन से उसके पुराने सहयोगियों न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका की चिंता कम होती नहीं दिख रही है। पड़ोसी देश माइक्रोनेशिया के नेता ने चेतावनी दी है कि चीन के साथ हुए समझौते से दक्षिण प्रशांत क्षेत्र एक बार फिर महाशक्तियों का युद्धस्थल बन सकता है। सोलोमन द्वीपसमूह की सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि नए सुरक्षा समझौते का एक मसौदा तैयार है और सोलोमन और चीन के प्रतिनिधि इस पर हस्ताक्षर करेंगे।

 

गलत सूचना प्रसारित कर रहे  टिप्पणीकार
सोलोमन द्वीपसमूह की सरकार ने शुक्रवार को दिए बयान में कहा की सरकार विरोधी टिप्पणीकार गलत सूचना प्रसारित कर रहे हैं और इस समझौते के तहत चीन को सैन्य अड्डा स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बयान में कहा गया, “सैन्य अड्डा स्थापित करने के परिणाम से सरकार अवगत है और इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी।” इस बयान से पहले प्रधानमंत्री मानासेह सोगवारे ने संसद में भी कहा था कि चीन को सैन्य अड्डा बनाने की इजाजत देने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। सोगवारे ने अपनी विदेश नीति का हवाला देते हुए कहा कि उनका देश केवल शांति और समृद्धि चाहता है।

 

कोई गुप्त समझौता नहीं किया
उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी के मित्र हैं और किसी के दुश्मन नहीं हैं।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कोई गुप्त समझौता नहीं है बल्कि संप्रभुता का मुद्दा है। समझौते के मसौदे के तहत चीन सोलोमन द्वीप में कानून व्यवस्था को कायम रखने और अन्य कारणों के लिए पुलिस, सैन्य कर्मियों और अन्य सशस्त्र बलों को भेज सकता है। वह लंगर डालने के लिए अपने युद्धपोत भी भेज सकता है और जिसकी वजह से दक्षिण प्रंशात सागर के द्वीपों पर चीनी नौसेना ठिकाना स्थापित करने के कयासों को बल मिला। चीन ने सोलोमन द्वीप में सैन्य ठिकाना बनाने से इंकार किया है और अन्य पर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया।

 

झाओ लिजियान ने दक्षिण प्रशांत सागर का सैन्यीकरण करने का आरोप लगाया
संभवत: अमेरिका और उसके सहयोगियों का संदर्भ देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने शुक्रवार को अन्य पर दक्षिण प्रशांत सागर का सैन्यीकरण करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सोलोमन द्वीप से समझौता लोगों की जिंदगी और संपत्ति की सुरक्षा के लिए है और इसका कोई सैन्य कारण नहीं है। लिजियान ने कहा, ‘‘जब दक्षिण प्रशांत क्षेत्र के सैन्यीकरण का सवाल आता है तो कई देश क्षेत्रीय देशों के विरोध के बावजूद सैन्य मंडली बनाने पर अमादा होते हैं और दक्षिण प्रशांत में परमाणु प्रसार के खतरा पैदा कर क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को गंभीर धमकी देते हैं।

 

चीन ने  कोई प्रतिक्रिया नहीं दी
चीन के रक्षा मंत्रालय ने इस मामले पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। ऑस्ट्रेलिया के रक्षामंत्री पीटर डटन ने शुक्रवार को कहा कि वह सोलोमन की संप्रभुता का सम्मान करते हैं लेकिन यह दिखाता है कि चीन इस क्षेत्र में आक्रामकता से काम कर रहा है। उन्होंने स्काई न्यूज से कहा, ‘‘हमें सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि चीनी उल्लेखनीय तरीके से आक्रामक है और छोटे द्वीपीय देशों में सैन्य तैनाती की रणनीति उल्लेखनीय है।'' 

Tanuja

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