CELEBRITIES से कम नहीं है सिद्दी ट्राइब्स,आज जी रहे ऐसी LIFE

Wednesday, Jul 06, 2016 - 04:13 PM (IST)

नई दिल्लीः भारत कई तरह के ट्राइब्स का घर है। इनके तौर-तरीके और परंपराएं देश की समृद्ध संस्कृति और विरासत को आगे बढ़ाते हैं। इन्हीं में से एक हैं सिद्दी आदिवासी। ये मूल तौर पर साउथ अफ्रीका का बनतु समुदाय है।इन्हें पुर्तगाली गुलाम बनाकर भारत ले आए थे। भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में भी इनकी मौजूदगी पाई जाती है।

भारत में इनकी सबसे ज्यादा संख्या गुजरात में है।  इनमें से कुछ लोगों ने इस्लाम और कुछ ने ईसाई धर्म अपनाया। बहुत कम लोगों ने हिंदू धर्म अपनाया। ये भारत के साथ-साथ एशिया के और भी कई देशों में फैले हैं। भारत में गुलामों की तरह बेचे गए इन आदिवासियों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है।  मौजूदा श्रीलंका में इन्होंने हब्शी, काफिर और पाकिस्तान में शीदीस के तौर पर जाना जाता है। भारत में गुजरात को इनका गढ़ माना जाता है।

कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र में भी इनकी मौजूदगी है। यहां सिद्दी समुदाय के तकरीबन 50,000 से 60 हजार लोग रह रहे हैं।  शादी को लेकर इनके नियम सख्त हैं। सिद्दी ट्राइब्स अपने समुदाय में ही शादी करते हैं। ये दूसरे समुदायों में शामिल नहीं होना चाहते। इनकी बनावट भी बिल्कुल अफ्रीकियों की तरह है। माना जाता है कि सिद्दी ट्राइब्स के गुलामों को पुर्तगालियों ने जूनागढ़ के प्रिंस के सामने पेश किया था, जिनकी पीढ़िया भारत में रही हैं।  ये भी कहा जाता है कि जूनागढ़ के नवाब एक बार अफ्रीका गए थे और अफ्रीकी महिला के प्यार में पड़ गए थे।


नवाब जब अफ्रीकी महिला को लेकर भारत लौटे तो उसके साथ सैकड़ों दास- दासियां भी आए। तब से वो यहीं बस गए।''गिर’ फारेस्ट के बीचों-बीच ‘जंबूर’ नाम का एक गांव इनका ठिकाना है। इसे गुजरात का अफ्रीका कहा जाता है। गिर के जानवरों के साथ खासकर शेरों से इनका पुराना रिश्ता कायम है।  इनके बीच रहकर भी न तो जानवर कभी इन्हें नुकसान पहुंचाते हैं और न ही ये लोग जानवरों को।टूरिस्ट सीजन के दौरान इनका डांस देखने की डिमांड बहुत ज्यादा होती है। ये सेलिब्रिटीज से कम नहीं। इन्हें गुजरात टूरिज्म के वीडियो में भी दिखाया गया है।
 
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