अटवाल विवाद: कनाडा की संसद में पास होगा भारत की अखंडता का प्रस्ताव

Thursday, Mar 01, 2018 - 06:44 PM (IST)

टोरंटो: जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा के दौरान खालिस्तानी आतंकवादी जसपाल अटवाल को दिल्ली में डिनर का न्यौता देने के मामले में कनाडा की राजनीति में भूचाल आ गया है। कनाडा की विपक्षी पार्टी (कॉन्जर्वेटिव पार्टी) ने खुलकर भारत के समर्थन किया है। संसद में विपक्ष भारत की एकता-अखंडता और खालिस्तानी अलगाववादियों की निंदा का प्रस्ताव रखेगा।

विपक्ष ने यह कदम ट्रूडो के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के इस बयान के बाद उठाया है जिसमें अटवाल के आमंत्रण को कुछ भारतीय अधिकारियों की साजिश बताया गया था। उस बयान में कहा गया था कि ट्रूडो के दौरे को असफल बनाने के लिए भारतीय एजेंसियों ने अटवाल को मोहरा बनाया।

ट्रूडो के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने आरोप लगाया कि ट्रूडो की भारत यात्रा को विवादों में डालने के लिए 'भारत के किसी तत्व' ने अटवाल को न्यौता दिया था। इसके बाद मंगलवार को कनाडा की संसद में यह मामला प्रमुखता से उठाया गया। 

विपक्ष संसद में प्रस्ताव रखकर कनाडा के विकास में सिख समुदाय और भारतीय मूल के लोगों के योगदान की सराहना करेगा। खालिस्तानी आंदोलन समेत आतंकवाद के सभी स्वरूपों की कठोर शब्दों में निंदा करेगा। आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों को महत्व देने और सम्मानित करने की निंदा करेगा। भारत की एकता और अखंडता के प्रति अपना समर्थन जाहिर करेगा।

भारत ने इन आरोपों को 'अस्वीकार्य और निराधार' बताया है। विपक्षी कॉन्जर्वेटिव पार्टी ने ट्रूडो से भारत के खंडन का जवाब देने के लिए कहा है। ट्रूडो ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों का बचाव किया और कहा कि जब हमारे उच्च राजनयिक और सुरक्षा अधिकारी कनाडा के लोगों से कुछ कहते हैं तो इसका मतलब है कि वह जानते हैं कि यही सच है।

कनाडा की विपक्षी पार्टी के नेता एंड्रयू शीर ने भारत पर लगे आरोपों को 'विचित्र' बताते हुए ट्रूडो से पूछा, 'क्या प्रधानमंत्री अपनी षड़यंत्र की थ्योरी के पक्ष में कोई सबूत पेश करेंगे?' 

विपक्षी पार्टी द्वारा संसद में पेश किए गए प्रस्ताव में कहा कि यह सदन कनाडाई सिख और भारतीय मूल के कनाडाई लागों का देश के महत्व में दिए गए योगदान का सम्मान करते हैं। किसी भी प्रकार के आतंक, चाहे वह खालिस्तानी चरमपंथ ही क्यों न हो और ऐसे किसी भी व्यक्ति की निंदा करते हैं, जो भारत में अलगाव की बात कर खालिस्तान का समर्थन करता है।

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