कोरोना संकट में ब्राजीलः पद संभालने के 1 एक माह बाद स्वास्थ्य मंत्री ने दिया इस्तीफा

Saturday, May 16, 2020 - 01:10 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: दुनिया के सभी देश कोरोना वायरस पर काबू पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं इसके बावजूद वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यूरोपीय देश ब्राजील संक्रमण के मामले में छठवें स्थान पर है।यहां कोरोना के कहर से लाशों के ढेर बिछे हुए हैं लेकिन ब्राजील सरकार ने महामारी पर रोक लगाने की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। देश में बढ़ रहे मामलों पर लगाम लगाने में नाकाम रहने पर ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्री नेल्सन टीश ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है जो ब्राजील के राष्ट्रपति द्वारा जनता के स्वास्थ्य पर अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता देने के दबाव की ओर इशारा करता है। नेल्सन टेक ने एक महीना पहले ही 17 अप्रैल को पदभार संभाला था। 

ब्राजील फिलहाल दोतरफा संकट का सामना कर रहा है। ब्राजील में कोरोना के 2 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं और 14,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और ऐसे में देश इस संकट से निपटने में असमर्थ दिखाई दे रहा है। हैरानी की बात यह है कि कोरोना संकट से निपटने के बजाय बोल्सोनारो ने जिम और सैलून को खोलने की इजाजत दे दी और इन्हें आवश्यक सेवा माना है। और अब, वह गवर्नर को चुनौती दे रहे हैं। ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने पहले तो कोरोना संकट को नकार दिया और जब महामारी फैली तो वैज्ञानिकों की राय के खिलाफ गए। पहले, उन्होंने वायरस के खतरे को हल्के में लिया और बाद में बढ़ते मामलों के बावजूद उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था पर ध्यान लगाया।

संघीय गवर्नर और ब्राज़ील की सुप्रीम कोर्ट ने संकट को रोकने के लिए पूरे देश की गतिविधियों पर ताला लगा दिया है। हालांकि, बोल्सोनारो ने देश भर में लॉकडाउन के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कहा, 'उन्हें लॉकडाउन खोलना होगा, नहीं तो हम भूख से मर जाएंगे।' उनका मानना ​​है कि वायरस के मुकाबले संघीय गवर्नर के कदम वास्तव में संकट बढ़ाने वाले हैं। जब ये सब आरोप प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त थे, कोरोना वायरस पूरे देश में कहर बन चुका था। परिणामस्वरूप देश में मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है ।

हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कोरोना लाशों के दफनाने के लिए साओ पाउलो में 13000 वर्टिकल कब्रिस्तानों का निर्माण किया जा रहा है। कोरोना वायरस देश के सुदूर क्षेत्रों में भी फैल गया है जहां ग्रामीणों की टेस्टिंग की सुविधा नहीं है। इन ग्रामीण इलाकों में सबसे बड़ा दुश्मन ये वायरस नहीं, बल्कि सरकार की उदासीनता है और एक ऐसा राष्ट्रपति है जो संकट को स्वीकार करने से ही इंकार करता है।

Tanuja

Advertising