चीन में भिखारी भी डिजिटल, भीख के लिए करते हैं QR कोड का इस्तेमाल

Sunday, Jul 14, 2019 - 11:38 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: भारत को ‘डिजीटल इंडिया’ में तबदील करने के लिए पिछले कुछ सालों में कोशिशें तेज हुई हैं लेकिन हमारा पड़ोसी देश चीन इस मामले में कितना आगे निकल चुका है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां अब भिखारी भी डिजीटल-कैशलैस हो चुके हैं। वे भीख मांगने के दौरान खुल्ले पैसे न होने का बहाना करने वाले लोगों के लिए क्यू.आर.कोड का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह बात सुनकर भले ही हैरानी हो लेकिन यह हकीकत है। 


मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक चीन के भिखारी अब ज्यादा से ज्यादा मोबाइल पेमैंट जैसी डिजीटल सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं। चीन के सार्वजनिक स्थानों और पर्यटन स्थलों पर इस तरह से भीख मांगते हुए भिखारी आसानी से नजर आ जाते हैं। चीन में भिखारियों को कैशलैस भीख देने का चलन बढऩे के बाद एक ग्रे बिजनेस भी शुरू हो चुका है। कुछ भिखारियों ने अपना स्टार्टअप भी शुरू किया है। जब भी किसी व्यक्ति द्वारा किसी भिखारी को कैशलैस पेमैंट के जरिए भीख दी जाती है तो उस भिखारी के पास भीख देने वाले का डाटा पहुंच जाता है। सभी भिखारियों द्वारा जमा किया जाने वाला यह डाटा आखिर में कम्पाइल कर बाजार में बेचा जा रहा है।

हर स्कैन के जरिए 7 से 15 रुपए तक कमा रहे हैं  भिखारी
फाइनैंशियल एक्सप्रैस के मुताबिक भिखारी हर स्कैन के जरि 7 से 15 रुपए तक कमा रहे हैं। इसकी मदद से उन्हें इस छोटे से बिजनैस को प्रोमोट करने में मदद मिल रही है। बता दें कि क्यू.आर. कोड सिस्टम 1994 में जापानी कंपनी डेंसो वेव ने विकसित किया था। इसका मकसद मैन्युफैक्चर किए गए वाहनों को ट्रैक करना था। धीरे-धीरे यह कोडिंग   सिस्टम दक्षिण कोरिया और जापान में ऑनलाइन पेमैंट के लिए इस्तेमाल होने लगा था लेकिन यह किसी ने भी नहीं सोचा था कि चीन में इस पेमैंट सिस्टम को इतनी बड़ी सफलता मिलेगी।  

vasudha

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