''भारत में सबसे ज्यादा लोग भुखमरी के शिकार''

Thursday, May 28, 2015 - 11:10 PM (IST)

रोम: संयुक्त राष्ट्र की भूख संबंधी सालाना रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सबसे अधिक 19.4 करोड़ लोग भारत में भुखमरी के शिकार हैं। यह संख्या चीन से अधिक है।


संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एएफओ) ने अपनी रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ फूड इनसिक्युरिटी इन द वर्ल्ड 2015’ में यह बात कही है। इसके अनुसार वैश्विक स्तर पर यह संख्या 2014-15 में घटकर 79.5 करोड़ रह गई जो कि 1990-92 में एक अरब थी।


हालांकि, भारत में भी 1990 तथा 2015 के दौरान भूखे रहने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आई। 1990..92 में भारत में यह संख्या 21.01 करोड़ थी जो 2014-15 में घटकर 19.46 करोड़ रह गई।


रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत ने अपनी जनसंख्या में भोजन से वंचित रहने वाले लोगों की संख्या घटाने में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं लेकिन एफएओ के अनुसार अब भी वहां 19.4 करोड़ लोग भूखे सोते हैं।


भारत के अनेक सामाजिक कार्य्रकम भूख व गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहेंगे, ऐसी उम्मीद है।’ हालांकि, आलोच्य अवधि में चीन में भूखे सोने वाले लोगों की संख्या में अपेक्षाकृत तेजी से गिरावट आई। चीन में यह संख्या 1990-92 में 28.9 करोड़ थी जो 2014-15 में घटकर 13.38 करोड़ रह गई।


रिपोर्ट के अनुसार एफएओ की निगरानी दायरे में आने वाले 129 देशों में से 72 देशों ने गरीबी उन्मूलन के बारे में सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों को हासिल कर लिया है।


विश्व में सबसे अधिक अल्प पोषितों की संख्या भारत में होने की ओर ध्यान दिलाते हुए माकपा ने आज राजग सरकार पर आरोप लगाया कि वह खाद्य सुरक्षा के मामले में बुरी तरह विफल रही है तथा इससे देश शर्मसार हुआ है।


संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा कल जारी किये गये एक अध्ययन के अनुसार भारत में अल्प पोषित लोगों की संख्या 19.46 करोड़ है जो विश्व में सर्वाधिक है और इस मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है।


माकपा ने इस बात पर भी चिंता जतायी कि 2010.12 की तुलना में अल्पपोषित लोगों की संख्या के कम होने की दर में पिछले दो साल में गिरावट आयी है। पार्टी पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात, ‘‘मोदी सरकार के एक साल के जश्न के साथ ही एफएओ ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसने देश को शर्मसार किया है।’’


उन्होंने कहा, ‘‘कुल आबादी में अल्प पोषित लोगों का अनुपात, गिरावट की दर में पिछले दो साल में काफी कमी आयी है. यह दिखाता है कि यदि एफएओ को कम करके भी आंका जाये, क्योंकि मेरा मानना है कि इस पूरी पद्धति में कम करके आंका गया है, खाद्य सुरक्षा से निबटने में मोदी सरकार की विफलता की तस्वीर काफी ज्वलंत है।’’
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