Watch Pics: भारत के दुश्मन हो जाएं सावधान!!

Sunday, Apr 12, 2015 - 04:10 PM (IST)

नई दिल्ली: अफगानिस्तान और इसके जैसे देशों में विभिन्न अभियानों में अपना जौहर दिखा चुका फ्रांस का लड़ाकू विमान राफेल अब भारतीय वायु सेना की रीढ़ बनने जा रहा है जिससे भारत की मारक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा होल्लांद के बीच शुक्रवार को पेरिस में बातचीत के दौरान बनी सहमति के तहत फ्रांस सरकार भारत को पूरी तरह से तैयार 36 राफेल विमान बेचेगी जो अगले दो वर्षों में भारतीय वायु सेना में शामिल हो जाएंगे।

दो इंजन वाला राफेल मध्यम श्रेणी का बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान है जो सभी तरह के मौसम में एक साथ कई काम को अंजाम देने में संक्षम है। अफगानिस्तान, इराक ,लीबया, और माली में प्रतिकूल परिस्थितियों में अपनी उपयोगिता साबित कर चुका राफेल फ्रांसीसी वायु सेना और नौसेना का प्रमुख लड़ाकू विमान होने के साथ साथ मिस्र की वायु सेना में भी अग्रिम पंक्ति में शामिल है। 

राफेल की ताकत
राफेल बनाने वाली कंपनी दसाल्त का दावा है कि लगभग दस टन वजन वाला यह विमान अपने वजन से ढाई गुना अधिक पेलोड के साथ उड़ान भर सकता है। राफेल हवा से जमीन पर मार करने के साथ साथ हवा से हवा में लक्ष्य पर सटीक निशाना साध सकता है। इसके अलावा वह परमाणु हमले, एंटी शिप अटैक, ओही क्षमता, क्लोज एयर सपोर्ट, एयर डिफेंस और लेजर निर्देशित लंबी दूरी की मिसाइल के हमले में भी सक्षम है। वह एक ही उड़ान में कई एक्शन को अंजाम देने के साथ साथ दुश्मन की मिसाइल को ध्वस्त भी कर सकता है। विमान उड़ान के दौरान ही आक्सीजन बनाने की प्रणाली से भी लैस है जिससे इसे आक्सीजन की जरूरत नहीं होती। राफेल का वजन 10 टन, लंबाई 15 मीटर, विंग स्पैन 11 मीटर और ऊंचाई 5 मीटर से अधिक है। वह लड़ाकू विमान मल्टी सेंसर डाटा फ्यूजन टेक्नोलाजी से भी लैस है जिससे पायलट को रणक्षेत्र और उसके आस पास की स्थित का पूरा आभास हो जाता है और वह सही निर्णय ले सकता है।

पिछले 17 वर्षों में लड़ाकू विमानों का बड़ा सौदा
रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने राफेल सौदे पर बनी सहमति को बड़ा निर्णय करार देते हुए इसका स्वागत किया है और कहा है कि इससे पुराने पड़ चुके लड़ाकू विमानों के साथ जूझ रही भारतीय वायु सेना को जरूरी आक्सीजनज्ज् मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले 17 वर्षों में लड़ाकू विमानों का कोई बड़ा सौदा नहीं किया है। इन विमानों को भारत की जरूरतों के हिसाब से बनाया जाएगा और ये अगले दो वर्षों में भारत को मिल जाएंगे।

चीन और पाकिस्तान को देखते हुए जरुरी था राफेल
भारतीय रक्षा विशेषज्ञों का भी मानना है कि पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान की बढ़ती क्षमताओं को देखते हुए भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के बेड़े को मजबूत बनाना जरूरी हो गया था। उनका कहना है कि राफेल के भारतीय वायु सेना में शामिल होने से भारत की मारक क्षमता बढ़ेगी। भारतीय वायुसेना लड़ाकू वमानों की कमी का सामना कर रही है और जरूरत के हिसाब से उसके पास 43 लड़ाकू स्क्वैड्रन होने चाहिए जबकि अभी केवल 34 लडाकू स्क्वैड्रन है। अगले 8 वर्षो में इनमें से भी 8 स्क्वैड्रन के विमान पुराने पडऩे के कारण बेड़े से बाहर हो जाएंगे।

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