अफगानिस्तान में खजाने की खोज में जुटा चीन प्राचीन बौद्ध सिटी का मिटा रहा नामोनिशान

Wednesday, Jun 22, 2022 - 05:15 PM (IST)

काबुल: अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान ने देश में मौजूद बहुमूल्य खजाने की तलाश की जिम्मेदारी चीनी ड्रैगन को दे दी है। खजाने के लालच में चीन  देश के प्राचीनतम शहरों को भी ध्वस्त करने पर आमदा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक  अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पास स्थिति विशाल चोटियों पर बना एक प्राचीन बौद्ध शहर हमेशा के लिए खत्म हो सकता है। दुनिया के सबसे बड़े तांबे के भंडार को निकालने के लिए इस प्राचीन बौद्ध विरासत को चीन ने निगलना शुरू कर दिया है।

 

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के करीब स्थिति मेस अयनक, जिसे अतिप्राचीण बौद्ध स्मारक कहा जाता है, उसकी खुदाई अब चीन ने शुरू कर दी है और अफगानिस्तान के कई पत्रकारों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है और दुनिया से अपील की है, कि अफगानिस्तान की इस विरासत को ध्वस्त होने से बचाया जाए। हेलेनिस्टिक और भारतीय संस्कृतियों के संगम पर स्थित, मेस अयनक करीब 2 हजार साल पुराना है और इस जगह पर कभी तांबे के निष्कर्षण से जुड़ा व्यापार होता था।

 

कभी ये जगह विशालकाय शहर हुआ करता था, लेकिन अफगानिस्तान में मुस्लिम शासन स्थापित होने के बाद इसे उजाड़ बना दिया गया और अब तालिबान राज में इसका नामोनिशान मिटाने की कोशिश की जा रही है। पुरातत्वविदों ने बौद्ध मठों, स्तूपों, किले, प्रशासनिक भवनों और आवासों का खुलासा किया था और यहां पर सैकड़ों मूर्तियों, भित्तिचित्रों, चीनी मिट्टी की चीज़ें, सिक्के और पांडुलिपियों का भी पता चला था। फ्रांसीसी कंपनी आइकोनेम के एक पुरातत्वविद्, बास्टियन वरौटिकोस कहते हैं कि, सदी की शुरुआत में लूटपाट के बावजूद, मेस ऐनाक दुनिया में "सबसे खूबसूरत पुरातात्विक स्थलों में से एक" बना हुआ था, जो शहर और इसकी विरासत को डिजिटलाइज करने के लिए काम कर रहा है।

 

लेकिन, सत्ता में लौटने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान में मौजूद खनिजों के खनन की जिम्मेदारी चीन को सौंप दी है और ना तालिबान और ना ही चीन, दोनों में से किसी को बौद्ध की प्राचीन विरास से कोई मतलब है और इसे ध्वस्त किया जा रहा है। इस शहर की खोज जो की गई थी, तो यहां पर दूसरी शताब्दी से 9वीं शताब्दी तक के बौद्ध सामान मिले थे। वहीं, यहां पर कांस्य युग के मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं, जो बौद्ध के जन्म से बहुत पहले भी पाए जाते थे। 1960 के दशक की शुरुआत में एक फ्रांसीसी भूविज्ञानी ने इस शहर को फिर से खोजा था, जिसे सदियों पहले भुला दिया गया था। 

Tanuja

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