पूर्व अफगान उपराष्ट्रपति का खुलासा-तालिबान के पास अपनी बम फैक्ट्री व 800 आत्मघाती हमलावर

Monday, Dec 05, 2022 - 02:52 PM (IST)

काबुल: अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने लगातार किए टवीट्स में तालिबान को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। सालेह ने बताया कि वर्तमान में तालिबान के पास 800 आत्मघाती हमलावरों की फौज है जिनके पूरी तरह से ब्रेनवॉश किए जा चुके हैं। यही नहीं तालिबान का एक शीर्ष कमांडर मुल्ला ताजमीर कोहट में 20 साल से बम की फैक्ट्री चला रहा है। पूरी दुनिया को इसके बारे में  पता होने के बावजूद उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। तालिबान के सबसे बड़े मुखर आलोचक माने जाते अमरुल्लाह सालेह ने कहा कि चंद दिनों पहले पाकिस्तानी दूतावास पर हुए हमले की जांच संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के जरिए की जानी चाहिए। 

2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर जब कब्जा किया था अमरुल्लाह सालेह तब भी देश छोड़कर नहीं भागे और वहीं से तालिबान विरोधी धड़े का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या संयुक्त राष्ट्र की जांच एजेंसी की पहुंच तालिबान के आत्मघाती दस्तों कर होगी, जो तालिबान के वर्तामान उप खुफिया प्रमुख मुल्ला ताजमीर के अधीन काम करती है। सालेह ने बताया कि ताजमीर कोहट में 20 साल से बम फैक्ट्री चला रहा है। ऐसे ही एक बम के परीक्षण के दौरान हुए विस्फोट में उसकी एक आंख चली गई थी। वह आईएसआई और पाकिस्तानी सेना के लिए बहुत खास है। वह अब भी तालिबान के आत्मघाती हमलावरों की कमान संभाले हुए है। क्या संयुक्त राष्ट्र को उसकी जांच करने की अनुमति दी जाएगी।



 

अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि आईएसआई शातिर आतंकवादियों का सबसे बड़ा समर्थक है। इस बात की जांच होनी चाहिए कि दोहा समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले अच्छे आतंकवादियों से उनके क्या संबंध हैं। अगस्त 2021 में काबुल पर तालिबान के कब्जे के तुरंत बाद आईएसआई चीफ अफगानिस्तान पहुंचे थे। उन्होंने तालिबान की कार्यवाहक सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। सालेह के समर्थकों को यह भी दावा है कि आईएसआई ने ही तालिबान को विरोधियों के गढ़ पंजशीर पर कब्जा करने में मदद की थी। इसमें पाकिस्तानी सेना के स्पेशल फोर्सेज के कमांडो टीम भी शामिल थी।

अमरुल्लाह सालेह ने एक के बाद एक ट्वीट कर कहा कि काबुल में पाकिस्तानी दूतावास पर हमला करने वालों का पता लगाने का सबसे आसान तरीका आईएसआई के कार्यालय और एसएसजी की स्पेशल ब्रांच की जांच करना है। उन्होंने कहा कि सभी राजनयिक मिशनों को किसी भी और सभी रूपों के आतंकी हमलों से मुक्त होना चाहिए। 31 मई 2017 जर्मन दूतावास पर बमबारी में 200 से अधिक लोग मारे गए थे। उसके मास्टमाइंड 2020 में रिहा कर दिया गया। सेरेना होटल, अमेरिकी दूतावास और भारतीय दूतावास पर हमलों का मास्टरमाइंड अब तालिबान की सरकार में आंतरिक मंत्री है। इस बमबारी के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने उसकी मदद की थी।

Tanuja

Advertising