अमेरिका ने चीन की OBOR योजना को लेकर दिया भारत का साथ, उठाए सवाल

Saturday, Nov 23, 2019 - 12:34 PM (IST)

लॉस एंजलिसः अमेरिका की एक शीर्ष राजनयिक ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में ‘वन बेल्ट वन रोड' (OBOR) पहल को देखने के बाद चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की उदारता पर सवाल उठाने की वजहें हैं और उसने आरोप लगाया कि बीजिंग ने कर्ज देने के लिए कभी भी वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त पारदर्शी प्रक्रियाओं का समर्थन नहीं किया। OBOR चीन की सरकार द्वारा अपनायी वैश्विक विकास रणनीति है जिसमें 152 देशों और एशिया, यूरोप, पश्चिम एशिया तथा अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय संगठनों में बुनियादी ढांचा विकास और निवेश करना शामिल है। 


अमेरिका ने चीन की महात्वाकांक्षी ‘‘ OBO परियोजना पर भारत के विरोध का समर्थन करते हुए कहा है कि वह इस पर नई दिल्ली की चिंताओं को साझा करता है। साथ ही, उसने (चीन की) इस पहल के पीछे मौजूद आर्थिक औचित्य पर भी सवाल उठाए हैं। भारत OBOR का विरोध करने वाला विश्व का एकमात्र बड़ा देश है। भारत ने अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता को लेकर इस परियोजना का विरोध किया है। 

 

दक्षिण और मध्य एशिया के लिए कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस वेल्स ने बृहस्पतिवार को विल्सन सेंटर थिंक टैंक के एक कार्यक्रम में कहा कि दुनियाभर में और निश्चित तौर पर दक्षिण तथा मध्य एशिया में चीन अन्य देशों को OBOR समझौतों पर हस्ताक्षर करने पर जोर दे रहा है। इसके लिए वह शांति, सहयोग, खुलेपन, समावेशिता जैसी बातों का हवाला दे रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह सुनने में काफी अच्छा लगता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में OBOR की प्रक्रिया को देखने के बाद चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की उदारता पर सवाल करने की वजहें हैं।''

 

उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए चीन कर्ज के तौर पर अच्छे खासे वित्त पोषण की पेशकश करता है लेकिन वह पेरिस क्लब का सदस्य नहीं है और उसने कर्ज देने के लिए कभी भी वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त पारदर्शी प्रक्रियाओं का समर्थन नहीं किया। कील इंस्टीट्यूट द्वारा जारी आकलन के अनुसार, चीन दुनिया का सबसे बड़ा कर्जदाता है लेकिन वह अपने आधिकारिक ऋणदेय पर संपूर्ण आंकड़ों के साथ कभी रिपोर्ट नहीं देता या प्रकाशित नहीं करता, इसलिए रेटिंग एजेंसियां पेरिस क्लब या आईएमएफ इन वित्तीय लेनदेन पर नजर नहीं रख पाती। चीन ने दुनियाभर में पांच हजार अरब डॉलर का कर्ज दे रखा है। श्रीलंका में भी हम्बनटोटा बंदरगार के संबंध में बीजिंग ने सरकार को एक अरब डॉलर से अधिक का कर्ज दिया। वेल्स ने कहा, ‘‘नतीजा यह हुआ कि श्रीलंका कर्ज नहीं चुका पाया और उसने अंतत: राहत पाने के लिए बीजिंग को 99 साल के पट्टे पर बंदरगाह सौंप दिया।''

 

बता दें कि  ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा' (CPEC) पकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है। OBOR चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका मकसद एशियाई देशों,अफ्रीका ,चीन और यूरोप के बीच सड़क संपर्क को बेहतर करना है।दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिका की प्रधान उप विदेश सहायक मंत्री एलिस वेल्स ने एक कार्यक्रम में कहा,‘‘ हम उन परियोजनाओं पर भारत की चिंता को साझा करते हैं, जिनका कोई आर्थिक आधार नहीं है और जिससे उसकी संप्रभुता पर प्रभाव पड़ेगा। '' 

Tanuja

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