धरती पर लौटा रहस्यमयी ड्रोन , अबूझ पहेली बना मिशन का सच

Thursday, May 11, 2017 - 04:43 PM (IST)

वॉशिंगटनः अंतरिक्ष में करीब 2 साल का समय गुजारने के बाद अमरीका का रहस्यमयी मिलिट्री ड्रोन एक्स-37बी धरती पर वापस लौट आया। नासा और US एयरफोर्स के मुताबिक, ड्रोन रविवार को फ्लोरिडा में उतरा। इसने अंतरिक्ष में 718 दिन गुजारे। इस ड्रोन की सबसे खास बात यह है कि इसके मिशन के पीछे का असली सच आज तक सामने नहीं आया है। 

नासा ने पहली बार 2011 में इस ड्रोन को अंतरिक्ष में भेजा था। इसकी डिजाइन बिल्कुल सामान्य प्लेन की तरह है। इसलिए यह दुनिया के लिए अबूझ पहेली जैसा है। रशियन मीडिया के मुताबिक, यह स्पेस के लिए बनाया गया स्पेशल बॉम्बर है, जो जंग के हालात में अंतरिक्ष में अन्य सैटेलाइट्स को टार्गेट कर सकता है। इसके बारे में यह भी कयास लगाया जाता है कि यह एक जासूसी सैटेलाइट है, जो अंतरिक्ष से दुश्मन देशों की गतिविधियों का पता लगाता है।

ड्रोन के लिए यह भी कहा जाता है कि इसे आने वाले समय में स्पेस में होने वाली जंग के लिए बनाया गया है। क्योंकि, धरती की तरह अंतरिक्ष में भी कई ताकतवर देश अपना प्रभुत्व जमाने की होड़ में हैं। इसमें अमरीका के साथ चीन और रूस शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस और चीन ऐसे  सैटेलाइट्स तैयार कर रहे हैं, जो स्पेस में अन्य सैटेलाइट्स को टार्गेट बना सकें। इसी के जवाब में अमरीका ने अपनी तैयारी कर ली है।

सिक्योर वर्ल्ड फाउंडेशन की एक्सपर्ट विक्टोरिया सेमसन का कहना है कि इसे लेकर चौंकाने वाली बात यह है कि यह साइज में अन्य सैटेलाइट्स की तुलना में बहुत छोटा है, जिसमें इतना ईंधन नहीं भरा जा सकता कि यह सालों तक अंतरिक्ष में चक्कर लगा सके।  इसका मतलब है इसकी ऊर्जा का स्रोत सोलर पैनल्स हैं और अंतरिक्ष में इसे सौर ऊर्जा आसानी से मिल जाती है।यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के फिजिसिस्ट और मिल्रिटी स्पेस टैक्नोलॉजी के एक्सपर्ट मार्क गबरड का कहना है कि यह ड्रोन एक जासूसी सैटेलाइट है, जो सिर्फ धरती की निचली कक्षा में ही चक्कर लगाता है।

इसकी कैपेसिटी इतनी नहीं कि यह अंतरिक्ष में चक्कर लगा सके।  Spaceflight101.com नाम की वेबसाइट के मुताबिक, 2015 में अपनी चौथी उड़ान के दौरान इसने 6 दिनों में ही एमेच्योर सैटेलाइट ट्रैकर्स के एक नेटवर्क का पता लगा लिया था। वेबसाइट का यह भी दावा है कि, 2015 में यह ड्रोन कुछ महीनों के लिए गायब हो गया था, लेकिन बाद में इसका पता लगा लिया गया था।
 

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