श्रीलंका के बाद अब पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर! क्या भारी पड़ी ड्रैगन की दोस्ती?

Saturday, Dec 24, 2022 - 08:50 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः श्रीलंका के बाद अब पाकिस्तान भी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुका है। शहबाज सरकार ने शनिवार को पाकिस्तान में आर्थिक आपतकाल की घोषणा कर दी है। पीएम शहबाज शरीफ ने कहा कि  देश में वर्तमान वित्तीय आपदा और धन की भारी कमी के कारण आर्थिक आपातकाल के निर्देश जारी करना अनिवार्य हो गया है। अन्यथा आगे की वित्तीय तबाही से जनता के वेतन में रुकावट की स्थिति पैदा हो सकती है। पाकिस्तान के पास कुछ ही हफ्तों का फॉरेक्स रिजर्व बाकी है। उसके पास 6 बिलियन का फॉरेक्स रिजर्व रह गया है, जोकि अब तक का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले श्रीलंका भी आर्थिक तौर पर दिवालिया हो चुका है। दोनों ही देशों के साथ चीन के साथ रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं। आइए जानते हैं पाकिस्तान की इस हालत के पीछे की वजह?

इमरान खान की पॉलिसी
साल 2018 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और सहयोगी दलों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई। इमरान खान पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान खान के जनता के बीच लोकप्रिय होने के लिए कुछ ऐसे फैसले लिए जो पाकिस्तान के लिए घातक साबित हुए। दरअसल, इमरान ने पीएम की कुर्सी पर बैठते ही पेट्रोल-डीजल समेत कई जरूरत के सामानों पर टैक्स में बड़ी कटौती की। इससे जनता को तो राहत मिली लेकिन पाकिस्तान का खजाना खाली होता चला गया।

आतंकवाद का साथ देना पड़ा महंगा
पाकिस्तान को आतंकवाद का साथ देना सबसे ज्यादा महंगा पड़ा है। भारत में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद पीएम मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ लगातार अलग-अलग मंचों से जोरदार आवाज उठाई। क्रॉस बॉर्डर टेरिरिज्म पर भारत की नीति‘With Terror No talk’ने पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि साल 2018 में पाकिस्तान को एफटीएफ की‘ग्रे’लिस्ट में डाल दिया गया। इससे पाकिस्तान को IMF और वर्ल्ड बैंक समेत वैश्विक संस्थाओं से कश्मीर के नाम पर मिलने वाली सहायता बंद हो गई और वहां हालात बिगड़ते चले गए।

कोरोना महामारी के बाद और बिगड़े हालात
साल 2020 में पूरी दुनिया में कोरोना महामारी आई। पाकिस्तान भी इससे अछूता नहीं रहा है। कोरोना महामारी के बाद पाकिस्तान में हालात इतने बिगड़ गए कि वहां की सेना ने इमरान खान को कुर्सी से हटाने का मन बना लिया। इसी साल की शुरूआत में पाकिस्तान में इमरान की सरकार चली गई। नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ ने सेना की मदद से प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। पाकिस्तान में ऐसा माना जाता है कि पाक आर्मी की मर्जी के बगैर वहां पत्ता भी नहीं हिलता। शहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री बनते ही इमरान सरकार के फैसले पलटने शुरू कर दिए और पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाया। पेट्रोल-डीजल, बिजली समेत बाहर से आयात होने वाली वस्तुओं पर शहबाज सरकार ने ऊंची दरों पर टैक्स लगाना शुरू कर दिया। इससे जनता को महंगाई को बड़ा झटका लगा। तेल की कीमतें बढ़ने से खाने-पीने समेत कई चीजों के दाम बढ़ने शुरू हो गए।

भारत से दुश्मनी पड़ रही भारी
पाकिस्तान को भारत के साथ बैर रखना भारी पड़ रहा है। पाकिस्तान दुनियाभर में पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के नाम पर चंदा मांगता है। लेकिन केंद्र में जब से मोदी सरकार बनी है। तब से भारत ने पाकिस्तान को हर मंच पर एक्सपोज किया है। पीएम मोदी ने शुरूआत में तो पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने में दिलचस्पी दिखाई। साल 2015 में 25 दिसंबर को अफगानिस्तान से लौटते हुए मोदी अचानक पाकिस्तान पहुंच गए और एक सकारात्मक रुख दिखाया। लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया।पहले साल 2016 में उरी में हमला किया, जिसका जवाब भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक करके दिया। इसके बाद भी पाकिस्तान सुधरा नहीं और साल 2019 में पुलवामा में अटैक किया। पुलवामा अटैक में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए। भारत ने इसका जवाब देने की ठानी। भारत ने पहले पाकिस्तान से‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’का दर्जा वापस ले लिया। इसके बाद पाकिस्तानी की सेना की आंख में धूल झौंकते हुए फरवरी में ही‘एयर स्ट्राइक’किया और बालाकोट में स्थित आतंकी ठिकानों को निस्तेनाबूत कर दिया। पाकिस्तान भारत की इस कार्रवाई से इनता बौखला गया कि उसने भारत के साथ सभी रिश्ते खत्म कर लिए। भारत के साथ व्यापारिक संबंध भी खत्म कर लिए। भारत के साथ संबंध खराब करना पाकिस्तान को सबसे ज्यादा भारी पड़ा। वह चीन समेत दुनिया के अलग-अलग देशों से सामान खरीदने लगा जोकि भारत की तुलना मे काफी ज्यादा महंगे थे।

चीन से दोस्ती पड़ी भारी
श्रीलंका के बाद पाकिस्तान को भी चीन से दोस्ती भारी पड़ रही है। दरअसल, चीन अपने मित्र देशों को बड़ी संख्या में कर्ज देकर उनको फंसासा है और फिर उनकी संपत्तियों पर अपना कब्जा करता है। पहले चीन से श्रीलंका को इसी जाल में फंसाया। श्रीलंका के बाद अब पाकिस्तान चीन के बुने जाल में फंस गया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चाइना-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर (CPEC), जोकि चीन के कसगर से होकर पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट तक बनाया जाना है। इसमें चीन अब तक 3 बिलियन डॉलर से अधिक इनवेस्ट कर चुका है। सीपैक का एक हिस्सा पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजर रहा है। इस पर भारत अपनी आपत्ति दर्ज करा चुका है। लेकिन बावजूद इसके सीपैक काम रुका नहीं। सीपैक के खिलाफ बलूचिस्तान समेत कई जगहों पर विरोध भी हो रहा है। बलूचिस्तान में कई जगहों पर आत्मघाती हमले हुए हैं, जिसमें कई चीनी लोगों की जान गई है। पाकिस्तान में सरकार बदलने के बाद चीन ने अगली किस्त देने से मना कर दिया है और सीपैक का काम अभी अधूरा पड़ा है। चीन मानता है कि पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के पीछे अमेरिका का हाथ है।   
 

Yaspal

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