किलोग्राम के बाद अब बदलेंगे मीटर और सेकंड के मानक, होगा ये असर

Saturday, Dec 01, 2018 - 04:10 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः  पिछले महीने दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक किलोग्राम का मापक पैमाना बदल कर पूरी दुनिया में हलचल मचा दी थी। इसके बाद अब वैज्ञानिक मीटर और सेकंड का मानक भी बदलने की तैयारी में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2019 में इस संबंध में फैसला लिया जा सकता है। किलोग्राम के बाद कुछ और इकाइयों को मापने के लिए भी प्राकृतिक वस्तुओं का आधार लिया जाएगा। मई 2019 के बाद मीटर और सेकंड के साथ-साथ कुछ और इकाइयों के मानकों की परिभाषा में भी बदलाव होगा। वैज्ञानिकों ने  फैसला किया है कि अब माप के लिए प्राकृतिक वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

 बता दें कि फ्रांस में दुनिया के 60 वैज्ञानिकों ने वोटिंग करके किलोग्राम के सबसे बड़े पैमाने या मानक को रिटायर कर दिया है। इस बदलाव का आम लोगों पर कोई असर नहीं होगा, लेकिन विज्ञान के प्रयोगों में इसका काफी असर होगा, क्योंकि वहां सटीक माप की जरूरत होती है। वैज्ञानिकों ने हाल में सर्व-सम्मति से वोट देकर ये फैसला किया है कि किलोग्राम को परिभाषित करने के लिए विद्युत धाराओं से पैदा की गई ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा। इसका मतलब है कि बिजली द्वारा पैदा की गई ऊर्जा से तौल के मानक की परिभाषा तय होगी। दरअसल, किलोग्राम को मापने वाली वस्तु फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक तिजोरी के अंदर रखी है।

ये प्लेटिनम से बनी एक सिल है, जिसे 'ली ग्रैंड के' कहा जाता है। एक सिलेंडर है और इसे ही इंटरनेशनल प्रोटोकॉल किलोग्राम माना जाता है। अब तक इसे एक किलो के सबसे सटीक बाट के रूप में जाना जाता था। फ्रांस के वर्साइ में आयोजित एक सम्मेलन में ज्यादातर वैज्ञानिकों का कहना था कि किलोग्राम को यांत्रिक और विद्युत चुंबकीय ऊर्जा के आधार पर परिभाषित किया जाना चाहिए और फिर वोटिंग के जरिए इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई।

क्यों हुआ किलोग्राम मानक में बदलाव
'ली ग्रैंड के' 129 वर्ष पुराना बाट है। वैज्ञानिकों ने एक किलोग्राम के इस सबसे बड़े मानक को बदलने का फैसला कर लिया, क्योंकि इस बाट का क्षरण हो रहा था। कुछ साल पहले इस एक किलो के बाट में 30 माइक्रोग्राम का फर्क आया था। ये फर्क सिर्फ एक चीनी के दाने जितना है, लेकिन विज्ञान की दुनिया के लिए ये फर्क बहुत बड़ा है।

 

Tanuja

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