ऑस्ट्रेलिया बॉन्डी बीच गोलीकांडः UAE मंत्री की 2017 की चेतावनी का वीडियो वायरल ! 8 साल पहले किया था आगाह
punjabkesari.in Monday, Dec 15, 2025 - 01:16 PM (IST)
International Desk: ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित बॉन्डी बीच पर हुए हिंसक हमले के बाद न केवल देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे हैं, बल्कि पश्चिमी देशों की व्यापक इंटीग्रेशन और कट्टरवाद-रोधी नीतियों पर भी नई बहस छिड़ गई है। इसी बीच, यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान की 2017 की एक चेतावनी सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर फिर वायरल हो रही है।
बॉन्डी बीच हमला: सुरक्षा, नैरेटिव और समाज
बॉन्डी बीच हमला भले ही अभी जांच के दायरे में हो और किसी भी विचारधारा से जोड़ने के दावे आधिकारिक रूप से प्रमाणित न हुए हों, लेकिन हमले के बाद जिस तरह सोशल मीडिया पर अफवाहें, नफरत भरे नैरेटिव और सांप्रदायिक आरोप सामने आए, उसने ऑस्ट्रेलिया की सोशल कोहेज़न (सामाजिक एकता) को झकझोर दिया है।ऑस्ट्रेलियाई यहूदी समुदाय और अन्य अल्पसंख्यक समूहों ने पहले भी यह चिंता जताई है कि सार्वजनिक प्रदर्शनों में नफरत भरे नारे, आराधनास्थलों पर हमले और ऑनलाइन उकसावे के मामलों में कानूनी कार्रवाई की गति धीमी रही है। बॉन्डी बीच की घटना ने इन आशंकाओं को और गहरा किया है।
2017 की चेतावनी क्यों प्रासंगिक?
शेख अब्दुल्ला बिन जायद ने 2017 में एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर कहा था कि यदि यूरोप “निर्णयहीनता”, “पॉलिटिकली करेक्ट बनने की मजबूरी” और इस भ्रम में जीता रहा कि वह इस्लाम और मध्य पूर्व को बेहतर समझता है, तो भविष्य में उसे अपने ही समाज से जन्मे कट्टरपंथियों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने इसे “शुद्ध अज्ञानता” करार दिया था। आठ साल बाद, फ्रांस में दंगे, ब्रिटेन में सामाजिक तनाव, स्वीडन और आयरलैंड में सुरक्षा बहस, तथा इटली में इंटीग्रेशन संकट इन सबके बीच यह बयान फिर चर्चा में है। विश्लेषकों का कहना है कि यूरोप में ओपन बॉर्डर, कमजोर इंटीग्रेशन मॉडल और कट्टर विचारधाराओं पर ढीली निगरानी ने स्थिति को जटिल बनाया।
🇦🇪 UAE MINISTER’S 2017 WARNING: “EUROPE WILL REGRET IGNORING RADICALISM”… 2025 JUST PROVED HIM RIGHT
— Mario Nawfal (@MarioNawfal) December 15, 2025
Back in 2017, UAE Foreign Minister Sheikh Abdullah bin Zayed Al Nahyan dropped a bombshell warning to the West about homegrown radicals.
And man... it's hitting different now… pic.twitter.com/0OQqpKLgiM
पश्चिमी मॉडल पर सवाल
बॉन्डी बीच हमला अब केवल एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि एक नीतिगत चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। सवाल यह नहीं है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी हो या नहीं, बल्कि यह है कि नफरत, उकसावे और हिंसा की सीमा कहाँ तय की जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पश्चिमी देश यूरोप के अनुभवों से सबक नहीं लेते, तो सामाजिक विभाजन और सुरक्षा खतरे और गहरे हो सकते हैं। आज, जब यूरोपीय देशों में घरेलू स्तर पर उभर रहे कट्टरपंथ पर खुली चर्चा हो रही है, तो उनके बयान को एक चेतावनी के रूप में दोबारा पढ़ा जा रहा है, न कि किसी भविष्यवाणी के रूप में। बॉन्डी बीच जैसे हमलों के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या पश्चिमी देशों ने कट्टर विचारधाराओं से निपटने में जरूरत से ज्यादा ढिलाई बरती। वहीं दूसरी ओर, मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की आज़ादी को बनाए रखते हुए सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी उतनी ही गंभीर बनी हुई है।
