भारत-रूस-चीन की दोस्ती से आगबबूला अमेरिका, PM मोदी को दी 500% टैरिफ की धमकी !
punjabkesari.in Sunday, Jun 01, 2025 - 04:50 PM (IST)

International Desk: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत और रूस की दोस्ती से अमेरिका की चिंता बढ़ गई है। इस बीच अमेरिका के प्रभावशाली सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने कीव में साफ़ शब्दों में कहा कि जो भी देश रूस से तेल, गैस या पेट्रोकेमिकल्स खरीदते रहेंगे, उन पर अमेरिका को 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगाना चाहिए। उन्होंने सीधे तौर पर भारत और चीन का नाम लेते हुए दावा किया कि ये देश रूस की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बना रहे हैं, जिससे क्रेमलिन यूक्रेन युद्ध को फंड कर पा रहा है। ब्लूमेंथल और सीनेटर लिंडसे ग्राहम मिलकर एक कड़ा विधेयक लाने जा रहे हैं, जो ऐसे देशों पर कठोर आर्थिक दंड लगाने की बात करेगा।
सीनेटरों का यह कदम पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति को दर्शाता है, जिसमें आर्थिक दबाव को रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है। ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि अगर वे दोबारा राष्ट्रपति बने, तो अमेरिका की व्यापारिक प्राथमिकताएं पूरी तरह बदल जाएंगी – और भारत व चीन को इसका प्रभाव झेलना पड़ सकता है।अमेरिकी चेतावनी के तुरंत बाद रूस ने राजनयिक चाल चली है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत-चीन-रूस (RIC) समूह को फिर से सक्रिय करने की बात कही। भारत और चीन के बीच अब तनाव नहीं है। यह सही समय है कि RIC को दोबारा जिंदा किया जाए और एशिया में पश्चिमी दबाव का जवाब दिया जाए। लावरोव ने यह भी संकेत दिया कि भारत को QUAD और पश्चिमी गठबंधनों से दूरी बनानी चाहिए और एशियाई शक्ति संतुलन में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए।
भारत की स्थिति
भारत के लिए यह एक तीर पर दो निशाने वाली स्थिति बन गई है। भारत अब तक रूस से कच्चा तेल खरीदता रहा है और इस नीति को 'रणनीतिक स्वायत्तता' का हिस्सा मानता है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर पहले ही साफ़ कर चुके हैं। भारत अपने फैसले दबाव में नहीं, अपने हितों के आधार पर लेता है। भारत को अब यह तय करना है कि वह अमेरिका के साथ व्यापारिक टकराव का जोखिम उठाएगा या रूस और चीन के साथ क्षेत्रीय गठजोड़ को मजबूत करेगा। चीन, जो पहले ही अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर में उलझ चुका है, अब भारत और रूस के साथ गुप्त रणनीतिक मेल बढ़ा रहा है। हाल ही में बीजिंग ने रूस से गैस और सैन्य उपकरणों के सौदे तेज़ किए हैं। भारत-चीन सीमा पर तनाव में धीमा सुधार दिख रहा है। RIC का दोबारा सक्रिय होना चीन के लिए भी पश्चिम के खिलाफ एक नया मंच बन सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि शी जिनपिंग जो लंबे समय से अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती देना चाहते हैं, भारत-रूस की मदद से एक नया एशियाई ध्रुव बनाना चाहेंगे।