ब्रिटेन के लिए ऐतिहासिक रहा वर्ष 2016

Thursday, Dec 22, 2016 - 02:28 PM (IST)

लंदन : ब्रिटेन में वर्ष 2016 में हुआ ऐतिहासिक मतविभाजन यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में रहा। इसका असर कहीं अधिक व्यापक रहा और इस मुद्दे पर यहां नेतृत्व में बदलाव तक हो गया। इस बदलाव में सत्ता एक महिला प्रधानमंत्री के हाथ में आ गई और यूरोप से बाहर उनके पहले द्विपक्षीय दौरे में वह भारत आईं जो दोनों देशों के बीच संबंध गहरे होने का संकेत था।

यहां जनमत संग्रह 23 जून को हुआ था। टेरीजा मे ने सत्ता संभालने के बाद अपने पहले दौरे के लिए भारत को चुना जिसका सकारात्मक संदेश गया लेकिन छात्र और पेशेवर वीजा को लेकर उनकी सरकार की ओर से हाल ही में की गई कार्रवाई को भारत के पक्ष में नहीं कहा जा सकता। जनमत संग्रह में ‘ब्रेग्जिट’ इस साल का सबसे चर्चित शब्द बन गया। जनमत संग्रह के विपरित परिणामों से दुखी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इस्तीफा दे दिया जिससे दुनियाभर के बाजार मुंह के बल जा गिरे। इसके साथ ही आप्रवासन और पूरे यूरोप में दक्षिणपंथ के उभार जैसे मुददों पर ताजा बहस शुरू हो गई।

यूरोपीय संघ की 3 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक ब्रिटेन और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौता होने की संभावना के चलते भारत-ब्रिटेन संबंधों में शुरूआती संकेत सकारात्मक थे। ब्रिटेन 28 देशों के आर्थिक संघ की 4 दशक पुरानी सदस्यता की बेड़ियों से अब मुक्त हो चुका था। सितंबर में नई प्रधानमंत्री ने हाउस ऑफ कॉमन्स में कहा कि यूरोपीय संघ छोड़ने के बाद हम नए व्यापार समझौते करेंगे। भारत, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर के नेताओं ने कहा है कि वे कारोबार के अवरोधों को दूर करने संबंधी बातचीत का स्वागत करेंगे। नवंबर में टेरीजा भारत दौरे पर आईं। इसके एक साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन दौरे पर गए थे जोकि लगभग एक दशक में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का वहां का पहला दौरा था।

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