Breaking: पाकिस्तान में दो बसें खाई में गिरीं, इराक से लौट रहे 12 तीर्थयात्रियों सहित 35 लोगों की मौत व 32 घायल

punjabkesari.in Sunday, Aug 25, 2024 - 01:43 PM (IST)

इस्लामाबादः पाकिस्तान में दो अलग-अलग बस दुर्घटनाओं में कम से कम 35 यात्री मारे गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए। पहली दुर्घटना रविवार को तड़के हुई जब इराक से ईरान के रास्ते लौट रहे शिया मुस्लिम तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक बस दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान में एक राजमार्ग से एक खाई में गिर गई, जिसमें कम से  दर्जन लोगों की मौत हो गई और कईअन्य घायल हो गए।कुछ घंटों बाद, पूर्वी पंजाब प्रांत के कहुता जिले में एक बस के खड्ड में गिर जाने से कराब 2 दर्जन लोगों की मौत हो गई।

 

National Makran Coastal Highway bus accident kills 11 pilgrims, injures over 30 https://t.co/niyMjMBs4K via @War Analyst pic.twitter.com/TwhAl5JPSu

— War analyst (@War_Analysts) August 25, 2024

जानकारी के अनुसार पहला हादसा तब हुआ जब शिया मुस्लिम तीर्थयात्रियों से भरी एक बस, जो इराक से लौट रही थी, दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान में एक राजमार्ग से फिसलकर खाई में गिर गई।हादसा मकरान कोस्टल हाईवे पर हुआ, जब बस के ब्रेक फेल हो गए और ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया।   पुलिस और अधिकारियों ने बताया कि  यह घटना बलूचिस्तान प्रांत के लासबेला जिले में हुई इस हादसे में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और 32 अन्य घायल हो गए। कुछ घंटों बाद, पंजाब प्रांत के कहूटा जिले में एक दूसरी बस खाई में गिर गई, जिससे 23 लोगों की मौत हो गई ।

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 पुलिस प्रमुख काजी साबिर ने बताया kf रविवार को हुए इस हादसे से कुछ दिन पहले ही 28 पाकिस्तानी तीर्थयात्रियों की मौत पड़ोसी देश ईरान में एक बस दुर्घटना में हो गई थी, जब वे इराक जा रहे थे। उन तीर्थयात्रियों के शवों को शनिवार को एक पाकिस्तानी सैन्य विमान के जरिए घर लाया गया और उन्हें सिंध प्रांत में दफनाया गया। साबिर ने बताया कि रविवार को खाई में गिरी बस पाकिस्तान के पूर्वी पंजाब प्रांत की ओर जा रही थी।

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पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इन हादसों पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने अधिकारियों से घायलों के लिए सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करने के लिए कहा है। बता दें कि हजारों शिया तीर्थयात्री इराक के पवित्र शहर कर्बला जाते हैं ताकि अरबाइन, जो 40वें दिन का प्रतीक है, को मनाया जा सके। यह वार्षिक 40-दिवसीय शोक अवधि का समापन होता है, जो पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन की 7वीं सदी में हुई मृत्यु की याद में मनाया जाता है। हुसैन की मृत्यु इस्लाम के शुरुआती इतिहास के संघर्षपूर्ण समय में करबला की लड़ाई में उमय्यद सेना के हाथों हुई थी।
 


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Content Writer

Tanuja

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