H-1B वीजा पूरी तरह बैन की तैयारी ! विशेषज्ञ बोले- यह सबसे खतरनाक कदम होगा, बर्बाद हो जाएगा अमेरिका
punjabkesari.in Saturday, Nov 15, 2025 - 01:00 PM (IST)
Washington: व्हाइट हाउस ने कहा है कि H-1B वीज़ा आवेदन पर $100,000 (लगभग ₹83 लाख) की अतिरिक्त फीस लागू करना "प्रणाली के दुरुपयोग को रोकने और अमेरिकी कर्मचारियों को प्राथमिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम" है। यह प्रतिक्रिया IANS को मिली एक विशेष बयान में दी गई। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने कहा, "राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी इतिहास में किसी भी आधुनिक राष्ट्रपति की तुलना में आव्रजन कानूनों को कड़ा करने के लिए अधिक काम किया है और अमेरिकी कर्मचारियों को प्राथमिकता दी है।" उन्होंने आगे कहा कि यह अतिरिक्त शुल्क विदेशी कर्मचारियों के स्थान पर कम वेतन पर अमेरिकी कामगारों की जगह लिए जाने की समस्या को खत्म करने के लिए एक शुरुआती बड़ा कदम है।
प्रोजेक्ट फायरवॉल की शुरुआत
टेलर रोजर्स ने यह भी बताया कि श्रम विभाग ने हाल ही में "प्रोजेक्ट फायरवॉल" नामक एक जांच अभियान शुरू किया है, जिसका मकसद H-1B वीज़ा नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों की जांच करना है। उन्होंने कहा "हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वीज़ा केवल उच्च कौशल वाले विशेषज्ञों के लिए हों, न कि सस्ते श्रमिकों को लाकर अमेरिकी कर्मचारियों को हटाने के लिए"।
ट्रंप की टिप्पणी से बहस छिड़ी
यह बयान उस समय आया जब राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में एक इंटरव्यू में H-1B वीज़ा कार्यक्रम का बचाव करते हुए कहा था, “आपको दुनिया से टैलेंट लाना होगा क्योंकि यहाँ सब तरह की प्रतिभा मौजूद नहीं।” इंटरव्यू के दौरान उनके बयान से रिपब्लिकन नेताओं और कट्टरपंथी समूहों में बहस तेज हो गई।
H-1B खत्म करने की मांग
रिपब्लिकन सांसद मार्जोरी टेलर ग्रीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर कहा कि वह H-1B वीज़ा को पूरी तरह से खत्म करने के लिए बिल पेश करेंगी सिर्फ मेडिकल सेक्टर को छोड़कर। उन्होंने लिखा, "H-1B खत्म करने से अमेरिकी नौकरी बाजार मजबूत होगा और मकानों की उपलब्धता भी बढ़ेगी।"
विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
वॉशिंगटन स्थित इमिग्रेशन विशेषज्ञ सारा पीयर्स ने IANS से कहा, "H-1B वीज़ा पूरी तरह समाप्त करने का प्रस्ताव सबसे खतरनाक कदम होगा, इससे लाखों अमेरिकी मरीज इलाज से वंचित रह सकते हैं और जानें जा सकती हैं।" उन्होंने कहा कि अमेरिका की स्वास्थ्य व्यवस्था विदेशी डॉक्टरों और विशेषज्ञों पर काफी निर्भर है। ट्रंप की अमेरिकी फर्स्ट नीति कहीं देश की लुटिया ही न डुबो दे।
