मोदी ने जलवायु परिवर्तन पर अमीर देशों की खिंचाई की

Monday, Nov 30, 2015 - 06:41 PM (IST)

पेरिस : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विकसित देशों को चेतावनी दी कि अगर वे भारत जैसे विकासशील देशों पर उत्सर्जन कम करने का बोझ डालते हैं तो यह नैतिक रूप से गलत होगा और विकासशील देशों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं की प्रगति के लिए कार्बन जलाने का अधिकार है। प्रधानमंत्री मोदी ने आज के ‘फाइनेंशिय टाइम्स’ के विचार वाले हिस्से में लिखा, ‘‘कुछ की जीवनशैली से उन कई देशों के लिए अवसर समाप्त नहीं होने चाहिए जो अब भी विकास की सीढ़ी पर पहले पाय दान पर हैं।’’  
 
150 देशों के नेताओं ने यहां जलवायु पर संयुक्त राष्ट्र के 12 दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया जिसका उद्देश्य वैश्विक गर्मी बढऩे के लिए जिम्मेदार गैसों के उत्सर्जन में कमी लाना है।  इस मौके पर मोदी ने कहा, ‘‘हमारे सामूहिक उपक्रम की आधारशिला समान लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों के सिद्धंात पर होनी चाहिए। और कुछ भी अन्य नैतिक रूप से गलत होगा।’’ जीवाश्म ईंधन के जरिए समृद्धि की दिशा में आगे बढऩे वाले विकसित देशों से उन्होंने कहा कि वे उत्सर्जन कम करने का बोझ उठाने में अपनी जिम्मेदारी पूरी करें।  
 
अमेरिका के नेतृत्व में विकसित देश इस बात पर जोर देते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस से कम सीमित करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पडने वाले बोझ को और अधिक समान तरीके से साझा किया जाना चाहिए। यह मुद्दा पृथ्वी पर गर्मी को नियंत्रित करने के लिए एक वैश्विक करार में बड़ी बाधा है। ब्रिटेन के जानेमाने आर्थिक अखबार में लिखे लेख में मोदी ने कहा, ‘‘कुछ का कहना है कि आधुनिक देशों ने समृद्धि की दिशा में अपना मार्ग जीवाश्म ईंधन के जरिए एक एेसे समय पर तय किया, जबकि मानवता को इसके असर की जानकारी भी नहीं थी।’’ 
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