मक्का में 1870 में बना ये प्रापर्टी आज भी विवादों में घिरा, सऊदी सरकार के खाते में जमा हैं भारत के करोड़ों रुपए
punjabkesari.in Tuesday, Jun 10, 2025 - 11:03 AM (IST)

नेशनल डेस्क: करीब 150 साल पहले, केरल के एक भारतीय कारोबारी मयंकुट्टी केई ने इस्लाम के सबसे पवित्र शहर मक्का में एक आलीशान गेस्ट हाउस बनवाया था। उस दौर में मयंकुट्टी का कारोबार मुंबई से लेकर पेरिस तक फैला हुआ था। उन्होंने यह गेस्ट हाउस मस्जिद अल-हरम के नजदीक बनवाया था। यह प्रॉपर्टी इतनी अहम जगह पर थी कि उसमें 22 कमरे और कई बड़े-बड़े हॉल थे। निर्माण के लिए केरल से खास लकड़ी मंगवाई गई थी और इसके संचालन के लिए एक मैनेजर भी रखा गया था। गेस्ट हाउस करीब डेढ़ एकड़ जमीन में फैला हुआ था। मस्जिद अल-हरम से कुछ कदमों की दूरी पर स्थित होने की वजह से इसकी धार्मिक और व्यापारिक दोनों दृष्टि से बहुत ज्यादा अहमियत थी। उस समय इसे हज और उमराह पर आने वाले मेहमानों के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
मक्का के विस्तार में ढहा दी गई प्रॉपर्टी
1971 में सऊदी अरब सरकार ने मक्का शहर के विस्तार की योजना बनाई। इसी विस्तार के तहत कई पुरानी इमारतों को हटाया गया। मयंकुट्टी केई का गेस्ट हाउस भी इस योजना की जद में आ गया और सरकार ने इसे गिरा दिया। इसके बदले सरकार ने उस समय हर्जाने के रूप में 14 लाख सऊदी रियाल सरकारी खाते में जमा किए।
अब तक क्यों नहीं निकाली गई हर्जाना राशि?
यहीं से विवाद की असली कहानी शुरू होती है। जब हर्जाना जमा किया गया, उस वक्त मयंकुट्टी केई के वैध उत्तराधिकारी की पहचान नहीं हो पाई। परिवार के दो पक्षों के बीच इस संपत्ति के उत्तराधिकार को लेकर झगड़ा चल रहा है। अब तक यह तय नहीं हो सका कि इस रकम का असली हकदार कौन है। सरकारी खाते में जो रकम जमा है, उसकी आज की वैल्यू 3 लाख 73 हजार अमेरिकी डॉलर (लगभग 3.10 करोड़ रुपये) है। इतने सालों में इस धन का कोई लाभ नहीं उठाया गया, और यह सऊदी सरकार के खाते में पड़ा हुआ है।
आधिकारिक प्रयास और भारत-सऊदी रिश्ते
भारत और सऊदी अरब के रिश्ते हाल के वर्षों में बहुत मजबूत हुए हैं। व्यापारिक, धार्मिक और राजनयिक संबंधों में जबरदस्त इज़ाफा हुआ है। इसके बावजूद इस प्रॉपर्टी विवाद को न भारत सरकार सुलझा पाई और न ही सऊदी अरब सरकार। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की ओर से अब तक कई बार प्रयास हुए, लेकिन उत्तराधिकारी के विवाद की वजह से मामला आगे नहीं बढ़ पाया।
पारिवारिक विवाद बना बड़ी बाधा
मयंकुट्टी केई के वंशज अब केरल में और कुछ अन्य देशों में रह रहे हैं। लेकिन उनकी संतानें आपस में ही संपत्ति पर दावा कर रही हैं। जब तक कानूनी रूप से यह साबित नहीं हो जाता कि असली वारिस कौन है, तब तक सऊदी सरकार यह रकम किसी को सौंप नहीं सकती। यही वजह है कि यह मामला आज भी फंसा हुआ है।