लग गए लाशों के ढेर, मदद के बदले मिली मौत, सामने आया दिल दहला देने वाला वीडियो
punjabkesari.in Sunday, Jun 01, 2025 - 01:02 PM (IST)

इंटरनेशलन डेस्क: गाजा से सामने आया एक दिल दहला देने वाला वीडियो दुनिया को सन्न कर देने वाला है, जहां राहत की उम्मीद में जमा हुए भूखे फिलिस्तीनियों पर अचानक मौत टूट पड़ी। अमेरिका समर्थित सहायता केंद्रों पर मदद की आस लेकर पहुंचे मासूमों को इजरायली सेना की गोलियों ने निशाना बना लिया। पल भर में राहत स्थल लाशों के ढेर में बदल गया, चीख-पुकार गूंज उठी और जो हाथ खाना लेने उठे थे, वे हमेशा के लिए खामोश हो गए। यह मंजर सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि इंसानियत की हत्या का खौफनाक सबूत बन गया है।
अमेरिका समर्थित गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (जीएचएफ) द्वारा संचालित सहायता वितरण बिंदुओं पर भोजन लेने पहुंचे मासूम फिलिस्तीनी नागरिकों पर इजरायली सेना ने गोलीबारी कर दी। इस भीषण हमले में कम से कम 31 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए। ये घटना तब हुई जब भूख से परेशान लोगों की भीड़ भोजन की तलाश में राहत केंद्रों पर पहुंची थी। गाजा सरकार के मीडिया कार्यालय ने कहा कि यह सिर्फ गोलीबारी नहीं बल्कि मानवता के खिलाफ एक संगठित अपराध है। सरकारी बयान के मुताबिक, "ये राहत केंद्र नहीं बल्कि सामूहिक मौत के जाल बन गए हैं" जहां भूख से मजबूर नागरिकों को निशाना बनाकर मारा जा रहा है।
At least 30 Palestinians were killed this morning when Israeli forces targeted a group heading to receive American aid. pic.twitter.com/QXXoKCmEHw
— TIMES OF GAZA (@Timesofgaza) June 1, 2025
राफा और नेटज़ारीम में हुई बड़ी घटना
सबसे ज्यादा मौतें राफा क्षेत्र में दर्ज की गईं जहां कम से कम 30 लोगों की जान गई। इसके अलावा नेटज़ारीम कॉरिडोर के पास भी एक व्यक्ति की मौत हुई है। इजरायली सेना की इस कार्रवाई में 220 से ज्यादा लोग घायल भी हुए हैं। गाजा सरकार का आरोप है कि इस तरह की घटनाएं जानबूझकर और सुनियोजित तरीके से की जा रही हैं ताकि भूख से जूझते लोगों को एक जगह इकट्ठा कर निशाना बनाया जा सके।
एक सप्ताह में 39 मौतें
गाजा सरकार का कहना है कि सिर्फ एक सप्ताह में ऐसे सहायता केंद्रों पर गोलीबारी से मरने वालों की संख्या 39 हो गई है। हर घटना में महिलाओं और बच्चों सहित बड़ी संख्या में आम नागरिक मारे जा रहे हैं। गाजा प्रशासन और मानवाधिकार संगठनों ने सवाल उठाया है कि जिस सहायता केंद्र को अमेरिका और इजरायल मिलकर चला रहे हैं, वह लोगों की भूख मिटाने के बजाय युद्ध में एक रणनीतिक हथियार बन गया है। गाजा मीडिया कार्यालय ने अपने बयान में अमेरिका को भी इन घटनाओं के लिए "पूरी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी" लेने को कहा है। बयान में आगे कहा गया है, "यह युद्ध के हथियार के रूप में सहायता का जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण उपयोग है, जिसका उद्देश्य भूखे लोगों को मौत की ओर धकेलना है।"
अमेरिका के मुस्लिम संगठन CAIR की तीखी प्रतिक्रिया
अमेरिका का सबसे बड़ा मुस्लिम नागरिक अधिकार संगठन - काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस (CAIR) ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। संगठन ने कहा कि भोजन की तलाश में निकले 20 फिलिस्तीनियों पर गोली चलाना बेहद अमानवीय कृत्य है। CAIR ने अमेरिकी प्रशासन से मांग की है कि गाजा में चल रहे सहायता कार्यक्रम को तुरंत समाप्त किया जाए और उसे संयुक्त राष्ट्र (UNRWA) व अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के हवाले किया जाए ताकि निष्पक्ष और सुरक्षित वितरण सुनिश्चित हो सके।
संयुक्त राष्ट्र ने जताई गहरी चिंता
संयुक्त राष्ट्र ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए गाजा की स्थिति को "धरती का सबसे भूखा क्षेत्र" बताया है। संस्था का कहना है कि वहां की पूरी आबादी अकाल के खतरे में है और राहत पहुंचाने का प्रयास हाल के इतिहास में सबसे ज्यादा बाधित हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी बेहद गंभीर है। यदि यह सिलसिला नहीं रुका तो आने वाले दिनों में गाजा में मानवीय त्रासदी और भी विकराल रूप ले सकती है।