स्वास्थ्य केंद्र तो है, मगर इलाज होता है 50 किलोमीटर दूर

Wednesday, Jun 07, 2017 - 03:23 PM (IST)

बिलासपुर : जिला के झंडूता उपमंडल में स्थित राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गेहड़वीं में एक भी चिकित्सक नहीं है। चिकित्सक न होने के चलते लाखों रुपए की राशि खर्च कर बनाया गया पी.एच.सी. गेहड़वीं का यह आलीशान भवन लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं दे पा रहा है। इस पी.एच.सी. के आलीशान भवन को बनाने पर 60 लाख रुपए की राशि खर्च हुई है। इसी वर्ष फरवरी माह में मुख्यमंत्री ने इस भवन का लोकार्पण तो कर दिया लेकिन प्रदेश सरकार यहां स्टाफ देना भूल गई। इस पी.एच.सी. में चिकित्सकों के 2 पद, फार्मासिस्ट का 1 पद, लैब टैक्रीशियन का 1 पद व सफाई कर्मचारी का 1 पद स्वीकृत है लेकिन इस पी.एच.सी. में केवल फार्मासिस्ट की ही तैनाती है। एकमात्र फार्मासिस्ट ही यहां आने वाले मरीजों का इलाज करने का जिम्मा संभाले हुए है, बाकी सब पद रिक्त चल रहे हैं। 

 

किसी काम नहीं आ रहा पी.एच.सी. 

जिला परिषद सदस्यों ने बताया कि चिकित्सकों व लैब टैक्रीशियन के न होने से पी.एच.सी. किसी काम नहीं आ रहा। इस पी.एच.सी. में मरीजों को दाखिल करने की सुविधा है लेकिन चिकित्सक न होने के चलते यहां बिस्तर खाली ही हैं तथा लोगों को स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त करने के लिए करीब 30 से 50 किलोमीटर तक का सफर तय कर क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर पहुंचना पड़ता है। पंचायत प्रधान प्रेम चौधरी ने बताया कि किसी महिला के प्रसव के समय पी.एच.सी. में चिकित्सक न होने के कारण समस्या बढ़ जाती है व कई बार तो लोगों की जान भी खतरे में पड़ जाती है। स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर से मांग की है कि गेहड़वीं पी.एच.सी. में चिकित्सकों के रिक्त चल रहे पदों को तुरंत भरा जाए ताकि क्षेत्र के हजारों लोगों को उचित स्वास्थ्य सुविधा मिल सके। 

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