ट्रांसमिशन लाइनों के लिए दी जा रही हरे पेड़ों की बलि, हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे ग्रामीण

punjabkesari.in Monday, Apr 25, 2022 - 02:02 PM (IST)

कुल्लू: जिला कुल्लू की मणिकर्ण घाटी में इन दिनों बरशेनी से छरोड़ नाला तक एचपीटीसीएल के द्वारा बिजली के ट्रांसलेशन लाइनें बिछाई जा रही है। तो वहीं इस ट्रांसमिशन लाइन बिछाने के कार्य में कई पेड़ों की बलि चढ़ाई जा रहीं हैं। पेड़ों के इस तरह से पूरे कटान पर मणिकर्ण घाटी की पंचायतें अब इसके विरोध में आई हैं और इस मामले को अब पंचायतें हाई कोर्ट में भी ले जा रही हैं। ताकि जल्द से जल्द इस काम को रोका जा सके।
 
मणिकर्ण घाटी की विभिन्न पंचायतों के प्रतिनिधियों ने भी मांग रखी है तो इस कार्य पर तुरंत रोक लगाई जाए। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए छलाल पंचायत के प्रधान चुन्नीलाल ने बताया कि बर्षेणी से छरोड नाला तक बिजली की ट्रांसमिशन लाइन बिछाने का काम इन दिनों किया जा रहा है। लेकिन इस काम के चलते हरे भरे पेड़ों की बलि दी जा रही है। जिससे घाटी का पर्यावरण भी प्रभावित होगा।
प्रधान चुन्नीलाल ने बताया कि इस काम के लिए मणिकर्ण घाटी की 9 पंचायतों में से सिर्फ 2 पंचायतों की एनओसी ली गई है जबकि बाकी 7 पंचायतों ने इस काम के लिए अपनी एनओसी नहीं दी हैं।

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ग्राम पंचायत छलाल के प्रधान चुन्नीलाल का कहना है कि अगर इस तरह से हरे भरे पेड़ों को काटा जाता रहा तो इस से मणिकर्ण घाटी का पर्यावरण भी काफी खराब होगा और खराब पर्यावरण का परिणाम यहां के ग्रामीणों को भुगतना होगा। चुन्नीलाल ने कहा कि इस मामले को लेकर अब मणिकर्ण घाटी के साथ पंचायतों के लोग हाईकोर्ट में जाएंगे और हाईकोर्ट से भी मांग रखी जाएगी कि इस मामले में तुरंत स्टे लगाकर इस काम को रोका जाए।
वहीं सहारा संस्था के निदेशक राजेंद्र चौहान का कहना है कि पंचायतों में भी वन अधिकार समितियों का गठन किया गया है और पंचायतों में अगर किसी भी प्रकार का विकास कार्य करना हो तो उसके लिए ग्राम सभा के साथ-साथ वन अधिकार समिति की अनुमति भी जरूरी है। लेकिन ट्रांसमिशन लाइन बिछाने के लिए वन अधिकार समितियों की भी कोई मंजूरी नहीं ली गई और इस तरह से अवैध रूप से यह कटान किया जा रहा है, जो की पूरी तरह से गलत है।

 


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