यहां भगवान शिव ने भक्त भृगु की तपस्या से प्रसन्न होकर किया था सरोवर का निर्माण
punjabkesari.in Monday, Jul 20, 2015 - 09:19 AM (IST)

कुल्लू: पर्यटन नगरी मनाली पर्वत शृंखलाओं से घिरी हुई है। यहां कदम-कदम पर प्राचीन वैदिककालीन देव परंपरा की सभ्यता और संस्कृति की झलक साफ दिखाई देती है। पौराणिक एवं स्थानीय जनश्रृतियों के अनुसार एक बार महर्षि भृगु ने हेमकूट पर्वत (हामटा जोत) पर भगवान शंकर की घोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें वर मांगने को कहा। इस पर महर्षि भृगु ने भगवान शंकर से प्रार्थना की कि इसी स्थान पर उसके नाम से सरोवर की उत्पति हो और युगों-युगों तक इस सरोवर का जल अमृत तुल्य, मोक्षदायक एवं औषधियुक्त बना रहे। उसी समय से लेकर इस सरोवर का नाम भृगु सरोवर पड़ा।
इसी स्थान के समीप 2 पर्वतों के बीच एक और ऐसा आकर्षक स्थान है जो चारों ओर से छोटे-छोटे पर्वतों से घिरा हुआ है। दूर से देखने पर यह स्थान सीढ़ीनुमा धान के खेतों की तरह दिखाई देता है। ऐसा लगता है कि कभी यहां पर धान की पनीरी उगाई हो। कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान ये खेत बनाए थे। यह भी कहा जाता है कि इन्हीं आसपास के वनों में भीमसेन ने हिडिम्ब राक्षस का वध किया था और इसी सरोवर के समीप भीम और हिडिम्बा परिणय सूत्र में बंध गए थे। इस पर्वत से कुछ ही दूरी पर अर्जुन गुफा स्थित है, जहां धनुर्धारी अर्जुन ने भगवान शिव से पाशुपतास्त्र प्राप्त किया था।
हामटा पर्वत से है यमलोक का रास्ता
क्या कभी आपने मृत आत्माओं की आवाज सुनी है। मानो या न मानो यह बात सच साबित हुई है। पौराणिक एवं स्थानीय जनश्रृतियों के अनुसार हामटा पर्वत से ही यमलोक को रास्ता जाता है। मनुष्य जब मर जाता है तो उसकी आत्मा इसी पर्वत से होकर यमलोक जाती है। स्थानीय लोग भी यह मानते आए हैं कि इस रास्ते से अगर कोई आदमी गुजरता है तोकभी आगे तो कभी पीछे बातचीत करने की आवाज सुनाई देती है लेकिन कभी कोई चीज दिखाई नहीं देती है। यहां के लोगों का कहना है कि आत्मा की आवाज किसी को कोई नुक्सान नहीं पहुंचाती है।
24 को 9 साल बाद होगा 2 ऋषियों का भव्य मिलन
ऊझी घाटी के वशिष्ठ के आराध्य देवता वशिष्ठ ऋषि 9 साल बाद इस तपोस्थल भृगु सरोवर में जाकर शाही स्नान करेंगे। ऋषि वशिष्ठ के पुजारी दुश्यंत शर्मा ने कहा कि 23 जुलाई की सुबह देवता वशिष्ठ ऋषि अपने देवालय से निकल कर हरियानों के साथ भृगु सर के लिए रवाना होगा। उन्होंने कहा कि देवता का रात्रि ठहराव पांडू रोपा में किया जाएगा। 24 जुलाई की सुबह शुभ मुहूर्त में भृगु ऋषि और ऋषि वशिष्ठ का आध्यात्मिक दिव्य देव मिलन होगा।