ऐसे एथलीट जो दे दें अच्छे अच्छों को मात

punjabkesari.in Thursday, Apr 16, 2015 - 09:43 PM (IST)

धर्मशाला: विजय राम चंद्र रैड्डी तेलंगाना 93 वर्षीय एथलीट ने आज अपना 100वां गोल्ड मैडल धर्मशाला में 36वीं राष्ट्रीय मास्टर एथलीट  प्रतियोगिता में जीता है। विजय राम चंद्र रैड्डी इस प्रतियोगिता में अकेले ऐसे प्रतिभागी थे जो सबसे ज्यादा उम्र के व्यक्ति थे। खास बात यह रही कि उनके मुकाबले में और कोई नहीं था। 2007 में थाईलंैड में इन्होंने 3 मैडल अपने नाम किए थे जिसमें उन्होंने 100 से 200 मीटर में गोल्ड व सिल्वर अपने नाम किए थे। राष्ट्रीय मास्टर एथलीट प्रतियोगिता के बाद व राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहे हैं। इस उम्र में यह कारनामा कर के दिखाना अपने आप में बड़ी बात है। बारिश के चलते पहले आयोजन में खलल पडऩे की आशंका थी लेकिन इन जैसे एथलीट का हौसला देख कर इंद्र देव भी प्रसन्न हो गए।

राम चंद्र रैड्डी ने अपनी सेहत के राज बताते हुए कहा कि वह रोजाना सुबह जल्दी उठते हैं और प्रतिदिन योगा करके अपने शरीर को निरोग रखते हैं तथा शरीर को हानि पहुंचाने वाली चीजों से दूर रहते हैं व प्रतिदिन अपना अभ्यास करना नहीं भूलते। उन्होंने कहा की धर्मशाला में आ कर बेहद खुशी हुई। कुदरत ने यहां अपनी सुंदरता हर जगह बिखेरी है। रनिंग ट्रैक इतनी खूबसूरत जगह में होना अपने आप में बेमिशाल है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि वे योगा को प्रतिदिन करें तथा नशीली चीजों से कोसों दूर रहें तथा अपने देश का नाम रोशन करने के लिए कुछ कर के दिखाएं।

80 वर्षीय नानी भी किसी से कम नहीं
धर्मशाला के सिथैंटिक ट्रैक में जब 80 वर्षीय भानूमति ने 5 हजार मीटर दौड़ के लिए जब ट्रैक पर कदम रखा तो हर कोई हैरान रह गया। हैरत की बात रही कि भानूमति ने 5 हजार मीटर की यह दौड़ जीत भी ली। दादी, नानी बन चुकी भानूमति में गजब की फुर्ती को देखकर वहां मौजूद लोग दांतो तले अंगुली दबाने को मजबूर हो गए। हालांकि इस प्रतिस्पर्धा में उनके मुकाबले में उनसे कम उम्र में करीब 20 से 25 वर्ष कम उम्र के प्रतिभागी भी थे लेकिन अपनी इस गजब की फुर्ती से उन्होंने सबको पछाड़ दिया। भानूमति ने एक विशेष भेंट वार्ता में बताया कि इस उम्र में भी उनकी युवाओं जैसी ताकत का राज नियमित व्यायाम, योगा व सही खान-पान है। उन्होंने युवा वर्ग को संदेश दिया है कि वे जीवन में नशों से दूर रहकर सकारात्मक सोच व प्रसन्नचित रहकर जीवन जीएं व प्रतिदिन व्यायाम व योगा सहित उचित आहार लें। यही जीवन में स्वस्थ रहने का मंत्र है।


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