टीचर सुसाइड मामले में न्यायालय ने जांच सीबीआई को सौंपी

punjabkesari.in Friday, Mar 27, 2015 - 11:54 PM (IST)

शिमला: सुबाथू स्थित पाइनग्रोव स्कूल की अध्यापिका वंदना कपिल आत्महत्या मामले में अब नया मोड़ आ गया है। प्रदेश उच्च न्यायालय ने उक्त मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया है। धर्मपुर पुलिस की जांच से असंतुष्ट होकर मृतका के भाई द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीड ने उपरोक्त आदेश पारित किए। खंडपीड ने पाया कि उक्त मामले में जांच धर्मपुर पुलिस की बजाय किसी स्वतंत्र एजैंसी से करवाना अति आवश्यक है क्योंकि उक्त मामले में धर्मपुर पुलिस का रवैया जांच के दौरान उदासीन रहा है।

न्यायालय ने थाना प्रभारी धर्मपुर को आदेश दिए हैं कि वह मामले से जुड़े तमाम रिकार्ड को 24 घंटे के भीतर सीबीआई को सौंप दें तथा सीबीआई को आदेश दिए कि वह इस मुकद्दमे की जांच 3 माह के भीतर पूरी करे। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार वंदना कपिल ने 20 जनवरी, 2015 की शाम 5 बजे पाइनग्रोव स्कूल में ही पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी। मृतका ने मृत्यु से पहले सुसाइड नोट डाक द्वारा अपने पिता को भेजा था जिसमें उसने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से न्याय की गुहार लगाई थी।

सुसाइड नोट में वंदना ने लिखा कि वह अपने जीवन का त्याग इसलिए कर रही है ताकि भविष्य में किसी और विवाहिता के साथ तथा निजी संस्थान के टीचर को उसकी तरह प्रताडऩा न सहनी पड़े, जैसी प्रताडऩा उसे उसके पति जगभूषण कपिल, स्कूल के हैड टीचर संजय चौहान, प्रशासक सुमिक्षा ङ्क्षसह व हैडमास्टर कैप्टन एजे सिंह के हाथों सहन करनी पड़ी। मृतका ने लिखा है कि सर मेरा जीवन यहां पाइनग्रोव में संन्यास का जीवन था। मैंने घंटों बैठकर ईश भक्ति में समय नहीं बिताया। मेरे ईश्वर की ओर मेरा रास्ता मेरे बच्चों से होकर गुजरता है किन्तु आज मेरे अंदर के 16 साल पुराने टीचर को आप लोगों ने तोड़कर रख दिया। मेरा हौसला तोड़ दिया। जीवन का हर कष्ट मैं इसी हौसले के सहारे झेलती आ रही हंू पर आज वंदना टूट गई।

उपरोक्त गुहार वंदना ने स्कूल के हैडमास्टर एजे सिंह से तब की थी जब उसे त्याग पत्र देने के लिए मजबूर किया जा रहा था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि पाइनग्रोव स्कूल के प्रशासक बहुत ही रसूखदार व पैसे वाले लोग हैं तथा पुलिस जानबूझ कर ढीली कार्रवाई कर रही है जिस कारण अहम सबूत समय के साथ नष्ट हो सकते हैं। इस कारण प्रार्थी ने मामले पर जल्द व सही जांच किए जाने की न्यायालय से गुहार लगाई थी।


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