बंदरों के निर्यात का मामला केंद्र से उठाएगी सरकार : वीरभद्र

Friday, Mar 20, 2015 - 08:40 PM (IST)

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार बंदरों का निर्यात करने संबंधी मामला एक बार फिर केंद्र सरकार से उठाएगी, साथ ही बंदरों को मारने पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह जानकारी मुख्यमंत्री ने विधायक महेश्वर सिंह की तरफ से पूछे गए प्रश्न के उत्तर में दी।

मुख्यमंत्री ने माना कि राज्य में बंदर कृषि और बागवानी को भारी नुक्सान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बंदरों के आंतक से निजात पाने के लिए कलिंग यानी इनको मारना ही सबसे बेहतर विकल्प है लेकिन ऐसा करना भी कई कारणों से सही नहीं है। पृथ्वी पर वानरों को भी मानव की तरह रहने का अधिकार है और मनुष्य को हर जीव की सुरक्षा करनी चाहिए। इसी कारण सरकार बंदरों को मारने की बजाय इनकी बढ़ती संख्या को रोकने के लिए नसबंदी के विकल्प को अपना रही है जिसके समय के साथ अच्छे परिणाम सामने आएंगे।

राज्य में इस समय 7 नसबंदी केंद्र काम कर रहे हैं जिनमें अब तक 94,334 बंदरों की नसबंदी की गई है। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि बंदर को जहां से पकड़ा है, वहीं पर उसे छोड़ा जाए। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो बंदरों को पकडऩे वालों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इस संदर्भ में शिमला के विधायक सुरेश भारद्वाज ने भी अनुपूरक प्रश्न पूछकर शिमला में बंदरों की समस्या का मामला उठाया। विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्न के दौरान बंदरों की समस्या को गंभीर विषय बताया और सरकार से इस संदर्भ में उचित पग उठाने को कहा।

वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने जानकारी दी कि बंदर पकडऩे के लिए 336 लोगों को राज्य सरकार ने 3,22,25,399 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी है। इसके तहत प्रति बंदर 500 रुपए दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कई लोगों ने ऐसे बंदर भी पकड़े हैं जिनकी पहले नसबंदी हो चुकी है। भविष्य में नसबंदी वाले बंदर को गलती से पकडऩे पर 300 रुपए दिए जाएंगे।

नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने अनुपूरक प्रश्न के दौरान बंदरों की समस्या को गंभीर बताया। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि बंदरों के निर्यात और हाईकोर्ट की तरफ से बंदर मारने को लेकर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर क्या पक्ष रखा है। इस पर स्थिति को स्पष्ट किया जाए।

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