मां काली की झांकी के बिना अधूरा है पालमपुर होली मेला

Friday, Mar 06, 2015 - 01:14 AM (IST)

पालमपुर: पालमपुर में होने वाले राज्य स्तरीय होली महोत्सव में बेशक एक से बढ़कर एक कार्यक्रम किए जाते हों मगर मेले का सर्वाधिक आकर्षण घुग्घर होली कमेटी द्वारा निकाली जाने वाली मां काली की भव्य झांकी ही होती है। या यूं कहा जाए कि माता की इस भव्य झांकी के बगैर मेला ही अधूरा है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। समय के साथ-साथ मेलों के स्वरूप बदलते गए हैं मगर घुग्घर स्थित कालीबाड़ी मंदिर से निकाली जाने वाली इस झांकी की परम्परा 300 साल पुरानी है। अंतर केवल इतना है कि पहले कंधों पर पालकी सजा कर मां की पालकी की परिक्रमा क्षेत्र में करवाई जाती थी मगर अब ट्रैक्टर या ट्रक में सजा कर झांकी निकाली जाती है।

बताया जाता है कि क्षेत्र में एक बार महामारी का प्रकोप फैला था जिससे अनेक लोग असमय काल का ग्रास बनने लगे। उस समय घुग्घर में सिद्धपुरूष शिवगिरी महाराज एक छोटी सी कुटिया में रहा करते थे जो काली माता के उपासक थे। भयभीत ग्रामीण शिवगिरी जी के पास आए व सहायता की गुहार लगाने लगे। कहते हैं कि शिवगिरी जी महाराज ने तब काली माता की अराधना की व ग्रामीणों को बताया कि यदि काली माता की झांकी सजाकर पूरे नगर मेें परिक्रमा करवाई जाए तो कल्याण हो सकता है।

शिवगिरी महाराज की बात मानकर ग्रामीणों ने अगले दिन माता की झांकी सजाकर नगर में परिक्रमा करवाई और अगले ही दिन महामारी का प्रकोप थम गया। कहते हैं कि उस दिन होली थी और उस दिन से चली आ रही यह परम्परा आज भी जारी है और मां के आशीर्वाद से आज तक कभी महामारी नहीं फैली। झांकी निकालने से पूर्व भव्य शंख ध्वनि की जाती है। क्षेत्रवासी श्रद्धानुसार हलवा इत्यादी प्रसाद तैयार कर मां को भेंट करते हैं। जिस घर में एक साल के भीतर कोई मंगलकार्य जैसे शादी अथवा बालक का जन्म हुआ हो वह परिवार मां को भोग लगाकर भेंट स्वरूप नारियल प्राप्त करते हैं।

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