गुरमीत राम रहीम को सजा सुनाने वाले जज के गांव में खुशी की लहर

Monday, Aug 28, 2017 - 07:26 PM (IST)

 जींद: साध्वी यौन शोषण प्रकरण में डेरा स‘चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को सजा सुनाने वाले केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) न्यायाधीश जगदीप सिंह लोहान ने जितना साहसिक और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है,उस पर राम रहीम के भक्तों को छोड़कर जहां पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है, वहीं उनके पैतृक गांव राजपुरा के लोगों का सीना गर्व से फूल गया है।

राजपुरा भैण गांव के एक शिक्षक परिवार में जन्म लेने वाले सीबीआई न्यायाधीश जगदीप सिंह लोहान ने प्राथमिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से ग्रहण की। उनके सहपाठियों ने बताया कि वह पढ़ाई में काफी गंभीर और होशियार भी थे। उस समय तख्ती पर लेख लिखते समय वह इतने गंभीर होते थे कि जब तक सुलेख साफ और सुंदर नहीं लिखा जाता, तब तक वह तख्ती पर लेख लिखते रहते थे। उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा में भिवानी बोर्ड में तीसरा स्थान भी हासिल किया था।

सीबीआई न्यायाधीश नियुक्त होने के बावजूद भी जगदीप सिंह अपनी जन्म भूमि से बहुत लगाव रखते हैं और महीने- दो महीने में वह अपने गांव में अवश्य आते हैं। उनकी चाची ने बताया कि वह इतने सरल स्वभाव के हैं, कि अगर घर में सब्जी नहीं बनी होती तो वे चटनी से भी खाना खा लेते हैं और गांव के बुजुर्गों से सम्मान के साथ बात करते हैं।

गांव की महिलाओं ने बताया कि न्यायाधीश जगदीप सिंह लोहान काफी शर्मीले हैं और कभी भी उनको न्यायाधीश होने का घमंड नहीं रहा। वह गांव आकर कभी भी अपने पद का रौब नहीं दिखाते। सीबीआई न्यायाधीश जगदीप सिंह लोहान गांव में सामाजिक कार्य में भी काफी रुचि लेते हैं। हाल ही में उन्होंने जींद प्रशासन के साथ गांव में पौधारोपण किया था। गांव के सरकारी स्कूल में अपने पिताजी बलबीर सिंह की स्मृति में दो पार्कों का भी निर्माण करवाया है।

पिछले साल 16 सितंबर को न्यायाधीश अपने गांव से पंचकूला जा रहे थे और उन्होंने देखा सड़क दुर्घटना हुई है। उन्होंने एंबुलेंस के लिए फोन किया। वहां से उन्हें जवाब मिला कि एंबूलेंस हवा में उड़कर तो आएगी नहीं। कुछ समय बाद एंबुलेंस भेज दी जाएगी। न्यायाधीश जगदीप सिंह एंबुलेंस का इंतजार न करते हुए अपनी गाड़ी में घायलों को सरकारी अस्पताल में लेकर गए। इतना बड़ा काम करने के बावजूद भी सीधे-साधे न्यायाधीश ने मीडिया से दूरी बनाए रखी थी। 

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