पंजाब में पॉलिटिकल वैक्यूम था हरियाणा में ऐसी कोई स्थिति नहींः CM खट्टर

punjabkesari.in Saturday, Apr 30, 2022 - 08:50 PM (IST)

पंजाब में पॉलिटिकल वैक्यूम था हरियाणा में ऐसी कोई स्थिति नहींः CM खट्टर

हरियाणा में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसने के लिए मनोहर सरकार ने खास रोडमैप तैयार किया है। भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों का पता चलते ही अब उन पर तुरंत प्रहार किया जाएगा। हरियाणा विजीलैंस ब्यूरो को भ्रष्टाचारियों पर लगाम कसने के लिए खुली छूट दी गई है जिसके सकारात्मक परिणाम भी आने शुरू हो गए हैं। विजीलैंस में जांच के लिए जहां सी.बी.आई. के 4 रिटायर्ड अधिकारियों को नियुक्त किया गया है तो वहीं जिले से लेकर मंडल तक अधिकारियों की फौज तैनात कर दी गई है। भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दे पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल बेहद गंभीर हैं। उनका साफ कहना है कि जिस दिन भ्रष्टाचार का पता चलेगा, उसे हम खुद ही पकड़ेंगे और अपने ही काल में पकड़ेंगे। प्रदेश की भावी योजनाओं सहित तमाम मुद्दों पर पंजाब केसरी संवाददाता दीपक बंसल व अविनाश पांडेय ने उनसे विशेष बातचीत की। पेश हैं बातचीत के अंशः
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भ्रष्टाचार के खिलाफ आपकी जीरो टॉलरैंस की नीति है। अभी करनाल में टाऊन प्लानर और एक तहसीलदार दोनों भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हुए हैं। विपक्ष का आरोप है कि मुख्यमंत्री के गृह जिले में ऐसा खेल तो पूरे प्रदेश में क्या स्थिति होगी?
मेरा यह दावा नहीं है कि भ्रष्टाचार खत्म हो गया है। सरकार आने के बाद भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए कई कदम उठाए गए। कांग्रेस के शासन में भ्रष्टाचार के बहुत से ऐसे किस्से हैं कि उनके मुख्यमंत्री, मंत्री, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और काफी अन्य लोग भ्रष्टाचार को आगे बढ़ाने में लगे रहते थे। कोई पकड़ता ही नहीं था लेकिन हमारी सरकार आने के बाद से यह लक्ष्य लेकर चल रहे हैं कि जिस दिन भ्रष्टाचार का पता लगेगा हम खुद उसे पकड़ेंगे और अपने ही काल में पकड़ेंगे। हमारी एजैंसियां काम कर रही हैं और जैसे ही सूचना मिलती है तुरंत कार्रवाई की जाती है। जब तक समाज में काले धन का विषय बना रहेगा भ्रष्टाचार भी तब तक चलता रहेगा। भ्रष्टाचार करने वाले बड़े से बड़े अधिकारी को बख्शा नहीं जाता। पुख्ता सबूत के साथ शिकायत मिलने पर किसी को छोड़ा नहीं जाता।


रजिस्ट्रियों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की थी लेकिन राजस्व विभाग ने अभी सैंकड़ों लोगों को नोटिस जारी किए हैं, जिसमें तहसीलदार और क्लर्क भी शामिल हैं। क्या नए सिस्टम का फायदा नहीं हुआ?
बहुत फायदा हुआ है, ऑनलाइन सिस्टम 25 दिसम्बर, 2014 को शुरू कर दिया था और उस समय जितने डॉक्युमैंट थे, उन्हें अपलोड करने का काम किया गया। उसके बाद रजिस्ट्री करवाने वाले के लिए एक चैकलिस्ट तैयार की गई थी। चैकलिस्ट के रूप में उनको बताया जाता था कि आप अपने डॉक्युमैंट ले आओ और अपनी रजिस्ट्री ले जाओ। मैं खुद इस मामले की मॉनिटरिंग करता था कि रजिस्ट्री होने के बाद उसी दिन रजिस्ट्री की डिलीवरी होनी चाहिए। हमने बहुत से ऐसे तहसीलदारों को पकड़ा जो रजिस्ट्री होने के बाद रात को अपने पास रखते थे और अगले दिन डिलीवरी करते थे। हमने वह नहीं होने दिया।

कुछ प्रावधान बदले, बदले प्रावधानों में कुछ कमियां रह जाती हैं, जिसका गलत लाभ उठाया जाता है। अवैध कालोनियों को रोकने के लिए भी सिस्टम बनाया जिसमें रजिस्ट्री के लिए एन.ओ.सी. अनिवार्य की गई। कुछ जगहों पर पटवारी, तहसीलदार, रजिस्ट्री क्लर्कों ने कुछ तरीके निकालकर बिना एन.ओ.सी. के रजिस्ट्री करनी शुरू की। जैसे ही इस बारे में पता लगा तो इसकी जांच करवाई गई। जांच में 58 हजार रजिस्ट्रियां ऐसी मिली व आरोपियों के खिलाफ नोटिस जारी किए गए, अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है उनके ऊपर कार्रवाई होगी।

PunjabKesariखनन विभाग, परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार की खबरें खूब आती रही हैं, और सरकार ने आई.ए.एस. अफसरों की जगह पुलिस अधिकारी लगाए। इन महकमों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में कितनी कामयाबी मिली?
इस कदम का काफी लाभ मिला। ऑप्रेशन शुद्धि एक कार्यक्रम चलाया कि जहां गड़बड़ है वहां शुद्ध करेंगे। शिकायतें मिलने पर नया कदम उठाते हुए काडर बदलकर ईमानदार लोग लगाए। पहले जो गाडिय़ों के पीछे से गाडिय़ां लगा लेते थे, रास्ते में उगाही करते थे, उस पर जैक लगा। आर.टी.आई. ऑफिस में जो लोग थे, उनको भी पकड़ा गया। ड्राइवर्स के मोबाइल के ट्रैक किया जाता था, अफसरों के निकलने की सूचना उन्हें मिल जाती थी। इस तरह के गैंग को पकड़ा गया है। काफी हद तक चीजों को ठीक कर लिया गया है।
 

विजीलैंस ब्यूरो ने पिछले दिनों एक आर.टी.ओ. को गिरफ्तार किया है जो एच.सी.एस. अधिकारी था। उक्त महकमे में एच.पी.एस. अधिकारियों को नियुक्त किया गया। दबी जुबान में एच.सी.एस. अधिकारियों का कहना है कि हम बेईमान और पुलिस का अधिकारी ईमानदार कैसे हो सकता है?
एच.सी.एस. व एच.पी.एस. का विषय नहीं है, कोई ईमानदार भी हो सकता है कोई बेईमान भी। कौन गड़बड़ करता है कौन नहीं करता है, शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है चाहे व एच.सी.एस. हो या एच.पी.एस.। एच.सी.एस. की संख्या ज्यादा है एच.पी.एस. की संख्या उतनी नहीं है, पकड़े जाने पर किसी के माथे पर नहीं लिखा होता कि कौन ईमानदार है कौन बेईमान।

नागर के साथ और भी कई पकड़े गए हैं
हरियाणा लोक सेवा आयोग के सचिव अनिल नागर जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किया गया था, डैंटल सर्जन और एच.सी.एस. की भर्ती में हरियाणा लोक सेवा आयोग कार्यालय से ही करोड़ों रुपए मिले थे, क्या इस धंधे में वह अकेला था

और विजीलैंस ब्यूरो की जांच रिपोर्ट में कौन-कौन दोषी पाए गए?
विजीलैंस की जांच की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती है, जांच जब पूरी होगी तो सब जानकारियां मिलेंगी, वह अकेला नहीं था, उनके साथ और भी लोग पकड़े गए हैं लेकिन अभी जांच जारी है और जब जांच जारी होती है तो हम भी जानकारी नहीं लेते हैं।

PunjabKesariसरकारी नौकरियों की भर्तियों में जो माफिया सक्रिय है, आपने उसे खत्म करने की कोशिश निश्चित रूप से की है। क्या अब हम ये मान लें कि माफिया अब खत्म हो गया है?
ये माफिया कोई आज का नहीं है पिछले कई वर्षों से चला हुआ है और इनके तार सिर्फ हरियाणा तक नहीं है। इनके तार दूसरे राज्यों से जुड़े हुए हैं। गिरोह से जुड़े कुछ लोग जम्मू कश्मीर, गुजरात, हैदराबाद व नोएडा से पकड़े गए। यह अपना धंधा बड़े शातिराना तरीके से चलाते हैं। बाहरी लोगों के अलावा सरकारी कर्मचारी भी मिले हुए होते हैं।

ऐसे मामलों में 60 से ऊपर एफ.आई.आर. की हैं। और 650 लोग पकड़े हैं और 300 लोग अभी भी एक्सपोंडिंग हैं। बहुत बड़े नैटवर्क को तोड़ा है जो पेपर्स को लीक करता था, पेपर्स में तरह-तरह की सैटिंग्स करते थे। एजैंसियां अभी भी ऐसे लोगों पर निगाह रखे हुए है। मुझे लगता है कि अब उस तरह का ऑर्गेनाइज नैटवर्क नहीं होगा। इक्का दुक्का घटनाएं कहीं हो सकती है, जिस पर सूचना मिलते ही कार्रवाई करेंगे।

विपक्ष का आरोप है कि मनोहर सरकार ने हरियाणा को दो- ढ़ाई लाख करोड़ कर्ज के नीचे दबा दिया है, इतना कर्ज लेने की वजह क्या है?
हमारा कर्ज जितना होना चाहिए उतना ही है उससे ज्यादा नहीं हैं। कुछ कर्ज पिछले कर्ज को उतारने और उसका ब्याज चुकाने के लिए भी लेना होता है। कुछ कर्ज विकास के नए कामों के लिए भी लेना पड़ता है लेकिन उसकी एक सीमा है। हमारा मापदंड ये है कि प्रदेश की कुल जी.डी.पी. का 25 प्रतिशत से ज्यादा कर्ज नहीं होना चाहिए और मौजूदा समय मे साढ़े 8 लाख करोड़ रुपए से ऊपर हमारा टोटल स्टेट का जी.डी.पी. है, तो उस हिसाब से दो लाख सवा दो लाख कर्ज बनता है।
 

छत्तीसगढ़ व राजस्थान सरकार ने कर्मचारियों की पुरानी पैंशन बहाल कर दी है, हरियाणा सरकार इसको कैसे देखती है?
जो मैंने विधानसभा में बोला था वही स्टैंड मेरा आज भी है कि ये निर्णय कांग्रेस सरकार ने लिया था। उस समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद जितना बड़ा समूह बनेगा वो पैंशन लगातार अगली सरकारों को देना संभव नहीं हो पाएगा, इसलिए नई पैंशन में जो कर्मचारी आज काम कर रहा है, उसके नाम की पैंशन का पैसा सरकार आज ही दे रही है। आज तो सरकारों के ऊपर डबल भार है... पहले पुराने कर्मचारी जो रिटायर हुए हैं उनकी पैंशन होना... और 2006 के बाद जो भर्ती हुए हैं उनकी पैंशन भी साथ-साथ देना। मेरा मानना है कि नई पैंशन योजना पुरानी से बेहतर है।

पंजाब में आप की सरकार बनने के बाद हरियाणा में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ गई हैं, हरियाणा में क्या असर देखा जाए?
पंजाब में एक पॉलिटिकल वैक्यूम बना हुआ था, ऐसे अवसर पर समाज में कई बार एक माहौल बनता है कि क्यों न नए को देखा जाए, तो इस प्रकार से आप का सिक्का चल गया। हरियाणा में ऐसी कोई स्थिति नहीं है। हरियाणा के लोग सावधान हैं, उन्हें पता है कि जिस तरह की नीतियों को लेकर चल रहे हैं, हरियाणा में उनका साथ देने वाला नहीं है।

पंजाब के बाद हिमाचल सरकार ने भी बिजली फ्री कर दी है, क्या हरियाणा सरकार पर भी इसका दबाव है?
7 साल में हमने बिजली के रेट नहीं बढ़ाए, बीच में हमने दो बार रेट कम किए हैं, ये पहला ऐसा काल है जिसमें बिजली के रेट नहीं बढ़े और हमने 24 घंटे बिजली दी है। पहले गांवों में कभी 4 या 6 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं मिलती थी, हमने बिजली की चोरी रोकी है, बिजली कंपनियों के घाटे को खत्म किया है, लाइन लॉसेस को कम किया है और 24 घंटे बिजली देने का जो वायदा किया था जो 50 साल में किसी ने पूरा नहीं किया था, हमने उसे पूरा किया।

मेरा गांव जगमग गांव के अंतर्गत 6200 पंचायतों में से 5600 पंचायतों में 24 घंटे बिजली जानी शुरू हो गई है, केवल 800 पंचायतें बची हैं, अगर बिजली फ्री करते हैं तो उसके ऊपर जो बोझ पड़ेगा वो कहीं ओर से निकालना पड़ेगा। अगर पंजाब ने ऐसा किया है तो मुझे नहीं लगता कि इसको कितना चालू रख पाएंगे। पंजाब का घाटे का बजट इतना ज्यादा है जबकि हमने अपने घाटे को एक संतुलन में रखा हुआ है। इन्होंने इस संतुलन को पूरी तरह से तोड़ा हुआ है। केवल सत्ता लोलुपता के और वोटबैंक के कारण ये जो फ्री बीज है, ये फ्री बीज का सिलसिला इसे हम नहीं मानते क्योंकि न जनहित में है और न प्रदेश हित में है।


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News Editor

Dishant Kumar

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