‘हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने किया किसान आंदोलन का समर्थन’
punjabkesari.in Sunday, Dec 06, 2020 - 11:06 PM (IST)
चंडीगढ़, (पांडेय): किसानों और सरकार के बीच बेनतीजा रही वार्ता के मद्देनजर पूर्व घोषित किसानों आंदोलन का समर्थन करने के लिए रविवार को प्रदेशभर के हजारों स्कूल संचालक सिंघु बॉर्डर पहुंचे। हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू और उपप्रधान संजय धत्तरवाल के नेतृत्व में सिंघु बॉर्डर पहुंचे स्कूल संचालकों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि सरकार ने जल्द किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया तो प्रदेशभर के स्कूल संचालक निर्णायक लड़ाई में कूद पड़ेंगे जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
कुंडू ने कहा कि स्कूल संचालकों ने 8 दिसम्बर को भारत बंद के समर्थन में ऑनलाइन क्लासिज को भी बंद रखने का फैसला लिया है। सरकार जानबूझकर किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है और सोची समझी साजिश के तहत बातचीत का ढकोसला करते हुए उन्हें बरगलाने में लगी है। जब देशभर का किसान वर्ग कृषि कानूनों के खिलाफ है तो सरकार जानबूझकर क्यों थोप रही है। किसान वर्ग जागरूक है और उसे भले बुरे की अच्छी तरह पहचान है। उन्हें पता है कि कानून जमीनी स्तर पर लागू हो गए तो किसान वर्ग पूंजीपतियों के अधीन होकर एक बंधुआ मजदूर बनकर रह जाएंगे।
‘भारत बंद में कर्मचारी संगठनों ने शामिल होने का लिया फैसला’
कर्मचारी संगठनों ने भी भारत बंद के समर्थन का ऐलान कर दिया है। लगभग सभी कर्मचारी संगठनों ने समर्थन करते हुए 8 दिसम्बर को लंच टाइम में विभागों में विरोध गेट मीटिंग और प्रदर्शन का फैसला लिया है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा और महासचिव सतीश सेठी ने बताया कि भारत बंद का हरियाणा कर्मचारी महासंघ और हरियाणा कर्मचारी संयुक्त मंच ने भी समर्थन किया है। समर्थन में विरोध गेट मीटिंग और प्रदर्शन में शामिल होने का फैसला किया है। लांबा ने बाकी कर्मचारी संगठनों से भी भारत बंद का समर्थन और विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का अनुरोध किया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने किसानों के विरोध के बावजूद कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने संसद में जबरन कृषि कानूनों को बनाया है। तीखा विरोध होने के बावजूद केंद्र सरकार काले कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं है। बिजली संशोधन बिल 2020 भी पारित हो गया तो किसानों की पहुंच से बाहर हो जाएगी। तीनों कानून और बिजली संशोधन बिल किसानों के लिए डैथ वारंट हैं। इसलिए किसान सर्दी की परवाह न करते हुए जी जान की बाजी लगा 10 दिन से टिकरी और सिंघु बार्डर पर डटे हुए हैं।