सरकारी नौकरियों को बेचने का खेल मुख्यमंत्री के आवास से होकर गुजरता है: अभय सिंह चौटाला

punjabkesari.in Saturday, Nov 20, 2021 - 05:19 PM (IST)

चंडीगढ़, देवेंद्र रुहल। ना पर्ची ना खर्ची का नारा तो एक ढोंग मात्र है जो सिर्फ प्रदेश की जनता को बरगलाने के लिए है, असल में तो सरकारी नौकरियों को बेचने का खेल मुख्यमंत्री के आवास से होकर गुजरता है। मुख्यमंत्री के सात साल के शासनकाल में दो दर्जन से भी अधिक भर्ती पेपर लीक हो चुके हैं जिनमें सरकारी नौकरी लगाने के लिए करोड़ों रुपए भाजपा सरकार के लोगों ने लिए लेकिन भाजपा के लोगों को हमेशा बचाया गया। एक बार एचएसएससी के चेयरमैन को निलंबित किया गया था लेकिन कुछ दिनों बाद उसी को वापिस चेयरमैन बना दिया गया।


भाजपा सरकार द्वारा सरकारी नौकरियां बेचने के गंभीर आरोप लगाते हुए इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने शनिवार को कहा कि सरकार के संरक्षण के बगैर सरकारी नौकरियों को बेचने का खेल संभव नहीं है। हाल ही में डेंटल सर्जन की नौकरी को एचपीएससी के उप-सचिव द्वारा 40 लाख में बेचे जाने का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। एचपीएससी के दफ्तर के अंदर करोड़ों रूपए की न केवल डील होती थी बल्कि धड़ल्ले से सरकारी नौकरी लगवाने के एवज में लोगों से करोड़ों रुपए लिए जा रहे थे। साथ ही यह भी सामने आया है कि पैसे लेकर सरकारी नौकरी लगाने का मास्टरमाईंड साफ्टवेयर एजेंसी का मालिक जसबीर नाम का आदमी है जो एचपीएससी में आनॅलाइन एप्लीकेशन का काम करता है। यहां यह बात जाननी बेहद आवश्यक है कि जसबीर सिंह भूपेंद्र हुड्डा के मुख्यमंत्री कार्यकाल से ही एचपीएससी से जुड़ा हुआ है मतलब साफ है कि नौकरियां बेचने का काम कांग्रेस सरकार में शुरू हुआ और अब भाजपा सरकार के संरक्षण में बदस्तूर जारी है।


अभय सिंह चौटाला ने भाजपा सरकार पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि जब आयोग के नियमों में उपसचिव का पद ही नहीं है तो किस के कहने से इस पद पर नियुक्ति हुई जो की जांच का विषय है। जांच इस विषय की भी होनी चाहिए कि आरोपी जसबीर का मुख्यमंत्री आवास पर कितना आना जाना था और वहां कौन से सीएमओ के अधिकारियों से मिलता था। इसमें सिर्फ डेंटल डाक्टर ही नहीं बल्कि इसके कार्यकाल की सभी भर्तियां जिनमें एचसीएस और ज्युडिसरी परीक्षा की भी जांच होनी चाहिए। इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि उक्त कंपनी को जब टेंडर अलाट किया गया तो क्या उस समय भी टेंडर की शर्तो में ढील दी गई थी या नहीं। एचसीएस का पेपर जो शनिवार को कैंसल किया है क्या उसमें भी गड़बड़ थी, उसका भी जवाब दिया जाना चाहिए।


भाजपा सरकार में कांट्रैक्ट, डीसी रेट और चपरासी से लेकर एचसीएस तक की नौकरियां रूपए लेकर बेची जा रही हैं। पुलिस कांस्टेबल की नौकरियां 15 लाख रूपए में बेची गई अब लोगों में यह चर्चा आम है कि एचसीएस की नौकरी के लिए पांच करोड़ रूपए लिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के शासनकाल में भाजपा ने जिस तरह से भ्रष्टाचार फैलाया है उससे लगता है कि इनका रोम-रोम भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। मुख्यमंत्री अगर अपने आप को पाक-साफ साबित करना चाहते हैं तो पिछले सात साल के उनके कार्यकाल में हुई नौकरियों की भर्ती की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से करवाई जाए।


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News Editor

Devendra singh Ruhal

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