मरीज के पेट में मिली कैंची, डॉक्टर बोला, 'जान' बचाने के लिए छोड़ी

Monday, Nov 20, 2017 - 03:56 PM (IST)

पंचकूला : डॉक्टरों की टीम को मरीज के पेट में कैंची मिली, जो पहले हुए एक ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने छोड़ दी थी। मामला पंचकूला के पिंजौर स्थित मल्टीस्पेशियलिटी शौरी हॉस्पिटल है। जहां तीन डॉक्टरों ने मरीज के पेट में कैंची ही छोड़ दी थी। लेकिन पेट में कैंची छोड़ने वाले डॉक्टरों पर अब जाकर केस दर्ज हुआ है। पिंजौर थाने में पंचकूला के जनरल अस्पताल के डॉक्टर्स के बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर तीन डॉक्टरों के खिलाफ लापरवाही बरतने का मामला दर्ज किया गया है।

 

घटना मई 2017 की है, पथरी का ऑपरेशन कराने आए एक मरीज की ऑपरेशन के बाद हेवी ब्लीडिंग शुरू हो गई थी। जब उसे पीजीआई रेफर किया तो पता लगा कि शौरी अस्पताल के डाॅक्टर्स ने मरीज के पेट में कैंची छोड़ दी थी, जिसके चलते यह ब्लीडिंग हुई और मरीज की तीन दिन के बाद मौत हो गई। 

 

हेमंत ने आरोप लगाया है कि पीजीआई के डॉक्टर्स ने जब उसके पिता का ऑपरेशन किया तो पता चला कि शौरी अस्पताल के डॉक्टर्स ने ऑपरेशन के दौरान गलत नसें काट दी। उनके जख्म को खुला छोड़ दिया गया। यहां तक की कैंची भी उनके पेट में छोड़ दिया गया। इसके चलते इन्फेक्शन फैल गया और ब्लीडिंग हो गई। इन सभी कारणों से उनकी जान चली गई।

 

हेमंत की शिकायत पर सेक्टर-6 स्थित जनरल अस्पताल पंचकूला में डॉक्टरों का एक बोर्ड बनाया गया। बोर्ड ने जांच की और डॉ. शौरी को भी बुलाया गया। इसके बाद बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर पिंजौर पुलिस थाने में शौरी अस्पताल के तीन डॉक्टर्स डॉ. विमल शौरी, डॉ. संगीता शौरी व डॉ. अश्वनी के खिलाफ लापरवाही बरतने का मामला दर्ज किया है।

 

डॉक्टर बोले... 
मुझे जनरल अस्पताल के डॉक्टर्स ने बुलाया था। मैंने बता दिया कि ऑपरेशन के दौरान ब्लीडिंग अचानक ज्यादा होने लगी थी, जिसके चलते उसे रेफर किया गया। मैं जितना कर सकता था, मैंने किया। कैंची इसलिए अंदर छोड़ी ताकि किसी तरीके से प्रेशर देकर, बांधकर ब्लीडिंग को रोका जा सके। कर्मचंद तीन दिन तक पीजीआई में ठीक भी रहा। वहां भी डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन किया। शायद वहां के डॉक्टर्स के इलाज में कुछ कमी रही हो। हमारी कोई गलती नहीं है।
-डॉ. विमल शौरी

 

पिंजौर थाने के एसएचओ सुखबीर सिंह ने बताया कि शौरी अस्पताल के डॉ. विमल शौरी, डॉ. संगीता शौरी व डॉ. अश्वनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304ए के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह केस जनरल अस्पताल के डॉक्टर्स के बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर दर्ज किया गया है।

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