बुढ़ापे में टेस्ट ट्यूब बेबी के जन्म को दिया अनैतिक करार

Saturday, May 14, 2016 - 12:02 AM (IST)

हिसार: पंजाब के अमृतसर की दलविन्द्र कौर के टेस्ट  ट्यूब बच्चे के जन्म के मामले में बेंगलुरू के प्रसूति एवं टेस्ट टयूब विशेषज्ञों ने इसे अनैतिक ठहराते हुए कहा कि इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्री के अनुसार टेस्ट  ट्यूब बेबी के जन्म के लिए दंपत्ति की कुल अधिकतम आयु सौ वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार दलविंदर कौर(72) के मामले में दंपत्ति की कुल आयु 150 वर्ष से ज्यादा है। इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। 
 
इंडियन सोसायटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन की कर्नाटक चेप्टर की पूर्व अध्यक्ष डॉ. बीना वासन ने कहा है कि जिस महिला को मीनोपाज 20 वर्ष पहले हो चुका है उसमें प्रजनन क्षमता समाप्त हो गई है और 79 वर्ष की उम्र में पुरुष की प्रजनन क्षमता भी समाप्त हो जाती है। ऐसे में इस दंपति का टेस्ट ट्यूब बेबी होना संभव नहीं है और समाज में यह गलत संदेश जाता है कि कोई भी महिला या पुरुष किसी भी आयु में बच्चा पैदा करने की क्षमता रखते है।  इस दंपत्ति के माध्यम से टेस्ट टयूब बच्चे का जन्म कराने वाले हिसार के डा 0 अनुराग बिश्नोई का कहना है कि 50 वर्ष की आयु के बाद भी मां बनने का मौलिक अधिकार हर महिला को है। 
 
देर से होने वाले विवाह, शिक्षा तथा कैरियर के लक्ष्यों की प्राप्ति में देरी तथा गर्भ निरोधक दवाइयों के कारण बढ़ती आयु में स्वाभाविक जन्म कठिन होता जा रहा है और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी का प्रयोग बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी प्रौढ़ महिलाओं के केस ज्यादातर देहात से आते हैं। उनको युवावस्था में टेस्ट ट्यूब सुविधा उपलध नहीं थी। टेस्ट ट्यूब की जनचेतना पिछले एक दशक में बढ़ी है और जिस परिवार को यह खुशी मिली है वह कृतज्ञता से हमें देखते हैं और उन्हें वारिस मिल जाता है। 
 
जिस दंपति की सूनी गोद मातृत्व सुख से भर जाती है उससे पूछा जाए कि यह अनैतिक है या नैतिक। उन्होंने कहा कि टेस्ट ट्यूब बेबी के इलाज को कोई बीमा कंपनी राशि नहीं देती और दंपति स्वंय सारा खर्च वहन करते हैं। आज तक टेस्ट ट्यूब बेबी के खिलाफ एक भी जनहित याचिका दायर नहीं हुई क्योंकि यह दंपति का निजी मामला होता है और उसकी संपत्ति का वारिस मिल जाता है। 
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