Google में जॉब के नाम पर फ्रॉड का शिकार हुआ छात्र डिप्रैशन में, अस्पताल में भर्ती

Sunday, Aug 06, 2017 - 11:23 AM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना) : गूगल में जॉब के नाम पर फ्रॉड का शिकार हुआ छात्र हर्षित हॉस्पिटल में है। हर्षित ने चार दिनों से कुछ खाया नहीं है। हर्षित की हंसी उसके चेहरे से गायब हो चुकी है। दूसरों से बात करना तो दूर उनकी तरफ देखना तक उसे अब गंवारा नहीं है। अंधेरे कमरे को हर्षित ने अपना कारावास बना लिया है जबकि वह अपराधी नहीं, साइबर क्राइम का विक्टिम है। दुनिया उसे अपराधी की तरह देख रही है। लोगों की निगाहें उसे रह रहकर अहसास दिला रही हैं कि उसने अपने नाते रिश्तेदारों, स्कूल और चंडीगढ़ प्रशासन को धोखा देकर वाहवाही बटोरी है लेकिन किसी को यह आभास नहीं हो रहा है कि साइबर क्राइम का विक्टिम बनने वाले हर्षित का क्या कसूर है? किसी साइबर क्रिमिनल ने हर्षित को गूगल में अप्वाइंटमैंट का फेक लैटर भेजा और किसी एप्प की मदद से अमेरिका से कॉल कर जॉब लगने की सूचना दी। 

क्रिमिनल ने बताया कि गूगल को हर्षित का काम पसंद आ गया है, उसे महीने का 12 लाख रुपए वेतन और 4 लाख रुपए स्टाइपैंड मिलेगा। गूगल की नौकरी मिलना किसी भी 12वीं पास स्टूडैंट के लिए सौगात से कम नहीं था। परंतु कुछ ही घंटों में उसका जीवन बदल गया। गूगल ने जवाब दिया अप्वाइंटमैंट लैटर फेक था। इसके बाद बधाइयों के शोर में तानें गूंज रहे हैं। लोगों ने मामले की जांच की मांग कर दी। 

हर्षित की उपलब्धि पर गौरवान्वित होने वाली टीचर्स ने भी बाद में हर्षित की स्कूल परफॉर्मैंस पर सवाल खड़े कर दिए। सगे-संबंधियों ने मजाकिया अंदाज में कहना शुरू कर दिया, अरे पहले चेक तो कर लेते लैटर असली है या नहीं? लोगों के बदले रवैये ने हर्षित को दिमागी तनाव दे दिया है। 

रोती मां ने कहा- क्या कसूर है मेरे बच्चे का?
हर्षित की मां भारती का रो-रोकर बुरा हाल है। हर्षित के पिता एक प्राइवेट कालेज में लैक्चरार हैं जबकि मां प्राइवेट स्कूल में टीचर है। एक छोटा भाई भी है जो 10वीं में पढ़ रहा है। मां ने बेटे की हालत पर आंसू बहाते हुए कहा कि मेरे बेटे का क्या कसूर है जो सब उसकी जग हंसाई कर रहे हैं? हर्षित तो बी.एससी. में एडमिशन ले रहा था। अगर उसे आइकन डिजाइनिंग का शौक था और गूगल को वह अपने डिजाइन भेजता रहता था तो क्या यह उसकी गलती थी? उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था? वह दूसरे बच्चों की तरह वीडियो गेम या सेल्फी खींचने में तो वक्त बर्बाद नहीं करता था? एक बच्चे ने फेक कॉल और नकली अप्वाइंटमैंट को सच मान लिया तो क्या लोग ताने मारकर उसे सजा देते रहेंगे? हर्षित एक हादसे का शिकार हुआ है। 

उसने खुद को अंधेरे कमरे में बंद कर लिया है, खाना-पीना तक छोड़ दिया है, बात करना भी छोड़ दिया है। जो टीचर्स हर्षित के अप्वांटमैंट को स्कूल की बढ़ाई के लिए प्रशासन को रिपोर्ट भेज रही थी, उन्होंने ही काबिलियत पर सवाल उठा दिए। क्या यह सही है? हर्षित के साथ जो क्राइम हुआ उसके लिए पुलिस को शिकायत देनी है परंतु इस वक्त हर्षित की देखभाल करनी जरूरी है। मेरे बच्चे को कुछ हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? 

बेशक स्कूल में पढ़ते हुए वह कोई पुरस्कार नहीं ले सका लेकिन फेल भी कभी नहीं हुआ। वहीं, हर्षित के चाचा नरेंद्र शर्मा ने कहा कि उनके भतीजे के साथ किसी ने बहुत घटिया मजाक किया है। जल्द ही उस व्यक्ति को भी सजा भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। 

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