‘मुख्यमंत्री की कथनी व करनी में कोई अंतर नहीं’

punjabkesari.in Monday, Mar 30, 2015 - 01:51 AM (IST)

यमुनानगर: उपायुक्त डा. एस.एस. फूलिया ने बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जनसेवा की बागडोर संभालते ही हरियाणा दिवस पर अपने संदेश में कहा था कि मैं एक किसान का बेटा हूं और गांव की माटी में पला-बड़ा हूं तथा खेती और किसानों की समस्याओं से पूरी तरह से परिचित हूं। उनके नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार द्वारा 5 महीनों में किसानों के हित में लिए गए निर्णयों के विश्लेषण करने से एक बात साफ हो जाती है कि उनकी कथनी और करनी एक है और किसानों के हित उनके लिए सर्वोपरि हैं। उपायुक्त ने बताया कि 1 से 3 मार्च तथा फिर 7 व 8 मार्च को बेमौसमी वर्षा, ओलावृष्टि और आंधी-तूफान से रबी की फसलों को नुक्सान हुआ है।

उन्होंने बताया कि प्रभावित किसानों को राहत पहुंंचाने के लिए राज्य सरकार ने राहत मानदंडों में जो परिवर्तन किया है, गिरदावरी करवाने में तत्परता दिखाई है और प्रदेश के किसानों को राहत पहुंचाने के लिए ब्याज मुक्त फसली ऋण देने, बिजली के बिल माफ करने फसली ऋणों को दीर्घावधि ऋणों में बदलने के जो निर्णय लिए हैं, उससे किसानों के हितों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता झलकती है। फूलिया ने बताया कि जिन किसानों की 50 प्रतिशत से अधिक फसलें खराब हुई हैं, उनके पिछले 6 महीनों तथा आगामी 6 महीनों के कृषि के बिजली के बिल शत-प्रतिशत माफ करने का निर्णय लिया है और जिन किसानों की 25 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक फसलें खराब हुई हैं, उनके पिछले 6 महीने तथा आगामी 6 महीनों के बिजली बिल 50 प्रतिशत माफ करने का निर्णय लिया है।

उन्होंने बताया कि यह पहली बार हुआ है कि किसी सरकार ने किसानों की फसलें खराब होने पर बिजली के बिल माफ किए हों। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने किसानों के हित में एक ऐतिहासिक फैसला यह भी लिया है कि मार्च 2015 से 28 फरवरी 2016 की अवधि में जो किसान फसली ऋण लेंगे उनसे कोई ब्याज वसूल नहीं किया जाएगा और इसका लाभ उन किसानों को भी मिलेगा जिनकी फसल का एक दाना भी खराब नहीं हुआ है।

उपायुक्त ने बताया कि फसलें खराब होने पर फसली ऋणों का पुन: निर्धारण नाबार्ड की हिदायतों के अनुसार किया जाता है। उन्होंने बताया कि नाबार्ड हरको बैंक को 4.5 प्रतिशत की ब्याज दर से ऋण देता है और हरको बैंक आगे किसानों को 7 प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण देता है। उन्होंने बताया कि नाबार्ड ने यह हिदायतें जारी कर रखी हैं कि यदि पूरे गांव में 50 प्रतिशत से अधिक फसलें खराब होती हैं तो उस गांव के सभी फसली ऋणों का पुन: निर्धारण किया जा सकता है।


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