‘मौत से संघर्ष में जिंदगी हार मान गई’

Friday, Feb 06, 2015 - 07:16 AM (IST)

कैथल (पंकेस): मैं आत्महत्या करने वाले लोगों को नालायक समझता था लेकिन कई बार जिंदगी व मौत के संघर्ष में जिंदगी हार जाती है और ऐसा ही मेरे साथ हुआ। मैंने काफी संघर्ष किया लेकिन इसमें मैं जिंदगी से हार गया हूं और आत्महत्या जैसा निर्णय ले रहा हूं। ये शब्द हरियाणा रोडवेज के चालक संतलाल निवासी सफीदों के छोड़े सुसाइड नोट में लिखे हैं। उसने सुसाइड नोट में अपनी मौत के कारणों का जिक्र भी किया है। उसने रोडवेज महाप्रबंधक से हाथ जोड़कर निवेदन किया कि जितनी हो सके, उसके बच्चों की सहायता करें।

संत लाल ने सुसाइड नोट में प्रधान पहल सिंह के लिए लिखा है कि ‘पहल सिंह प्रधान ने मेरी मदद की है। उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं’। संतलाल का सुसाइड नोट पढ़कर रोडवेज के चालक-परिचालकों एवं परिजनों के आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। चालक-परिचालक उसकी कार्यशैली, ईमानदारी एवं शराफत के किस्सों की चर्चा करते देखे गए।

वेदकुमार जानता है चोट मारने वाले कारिंदे को

सुसाइड नोट में संतलाल ने लिखा है कि वह 7 नवम्बर, 2014 को कैथल से असंध जा रहा था। गांव प्यौदा कैंची चौक के निकट उसकी बस के सामने 1 बच्ची आ गई। उसने ब्रेक मारे। बच्ची बच गई लेकिन सदमे में बेहोश गई थी। बाद में लड़की बिल्कुल ठीक हो गई थी। उसने बस रोककर बच्ची को उठाया लेकिन वहां उपस्थित शराब के कारिंदे ने उसकी पिटाई शुरू कर दी और उसके सिर में चोट मारी। कुछ देर बाद उसे शराब के ठेके में बिठा लिया गया। थोड़ी देर बाद रोडवेज की दूसरी बस आई।

वह उस बस में तितरम थाने में आ गया। वहां उसने हादसे की जानकारी दी। वह चोटिल था लेकिन उसने कोई शिकायत पुलिस को नहीं दी और न इलाज करवाया। गुम चोट होने के कारण 3-4 दिन बाद उसके सिर में दर्द बढ़ गया। बाद में उसने हिसार जिंदल अस्पताल में इलाज करवाया लेकिन आराम नहीं मिला। उसने मोहाली फोर्टिस अस्पताल में इलाज करवाया लेकिन वहां से भी कोई फायदा नहीं हुआ।

अभी भी उसका इलाज वहीं से चल रहा है। 2 लाख रुपए इलाज पर खर्च हो चुके हैं। वह लड़की वेदकुमार की थी और वेदकुमार चोट मारने वाले ठेके के कारिंदे को जानता है। जब वह बस में कैथल से असंध जा रहा था तो उसने उस व्यक्ति को ठेके पर शराब की पेटी उठाए हुए भी देखा था।

बच गई लड़की और मर गया चालक!

रोडवेज की बस के सामने अचानक आई लड़की तो इस हादसे में बच गई लेकिन चालक मर गया। सिविल अस्पताल में उपस्थित चालक-परिचालकों ने बताया कि बस चलाते समय कई हादसे हो जाते हैं और अधिकतर दोष चालकों का नहीं होता। इसके बावजूद लोग एवं कानून उन्हें दोषी ठहरा देता है। संत लाल के साथ भी ऐसा ही हुआ।

संतलाल की बस के सामने बच्ची भागकर आई थी लेकिन इसके बावजूद बच्ची को कोई चोट नहीं आई लेकिन उत्तेजित लोगों ने बिना सोचे-समझे संतलाल की पिटाई कर दी। इस पिटाई में संत लाल के सिर में गुम चोट आई थी और इसके कारण उसे आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा।

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