94 साल के बुजुर्ग को अब बेटी का सहारा

Thursday, Jan 29, 2015 - 06:21 AM (IST)

करनाल (का.प्र.): आज के नौजवान जहां कुछ दुरी पर ले जाकर थक जाते हैं। 94 साल के बुजुर्ग प्रतिदिन 20 से 25 किलोमीटर तक साइकिल चलाते हैं। साइकिल की दौड़ में वह नौजवानों को भी पीछे छोड़ देते हैं। आपको यह अचम्भा लग रहा होगा लेकिन यह वास्तिवक में सच है। बुजुर्ग ज्ञानचंद 94 साल के हैं। कान से भले ही कम सुनते हैं लेकिन देखने मे 60 से ज्यादा नहीं लगते हैं। यह भले ही पुराने खान-पान का असर हो इसके बाद भी उनके दिल में दर्द है।

उनके 2 बेटे हैं लेकिन वह अपनी विधवा बेटी के यहां रहते हैं जोकि स्कूल में टीचर है। जो काम बेटे नहीं कर सके वह अब बेटी कर रही है। ज्ञानचंद यहां चौधरी कालोनी के पास रहते हैं। उन्होंने बातचीत करते हुए पंजाब केसरी संवाददाता को बताया कि वह पाकिस्तान के मुल्तान जिले के खानेवाल तहसील में रहते थे। यहां पर उनकी 10 दुकानें थीं। आजादी के बाद जब देश का विभाजन हुआ तो वह भी अपनों को छोड़कर भारत में आ गए। उन्होंने विभाजन की त्रासदी देखी है लेकिन आज उनके परिवार के अपने बेटे भी उनको याद नहीं करते।

बेटी ने निभाया साथ
ज्ञानचंद बताते हैं कि बेटों की तरह बेटी भी नाम रोशन करती है जोकि उन्हें बेटों जैसा प्यार बेटी ने दिया है। वह मानते हैं कि यदि उनकी बेटी नहीं होती तो बुढ़ापे में उनका साथ कौन देता। उन्होंने बताया कि उनका एक बेटा जालंधर में है तो दूसरा जगाधरी में। किसी समय में वह 10 दुकानों के मालिक थे लेकिन कमेटी ने दुकानें बंद करवा दीं।

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