गुजरात उच्च न्यायालय ने दिल्ली के उपराज्यपाल के खिलाफ कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाई
punjabkesari.in Tuesday, May 23, 2023 - 02:45 PM (IST)

अहमदाबाद, 23 मई (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने 2002 में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर पर कथित हमले के मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना के खिलाफ निचली अदालत में आगे की कार्यवाही पर मंगलवार को अंतरिम रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति एम के ठक्कर ने सक्सेना को अंतरिम राहत देते हुए निचली अदालत में उनके खिलाफ मामला लंबित रहने और उनकी याचिका का निस्तारण न होने तक कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
इस याचिका में सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी के उपराज्यपाल पद पर बने रहने तक उनके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई स्थगित करने की अपील खारिज करने के मेट्रोपोलिटन अदालत के आदेश को चुनौती दी है।
अदालत ने राज्य सरकार और शिकायकर्ता पाटकर को भी नोटिस जारी किया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 19 जून की तारीख तय की।
आठ मई को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पी सी गोस्वामी की अदालत ने 10 अप्रैल 2002 के मामले में सक्सेना के खिलाफ सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
आरोप है कि सक्सेना और तीन अन्य आरोपियों ने गांधी आश्रम में आयोजित शांति बैठक के दौरान पाटकर पर कथित रूप से हमला किया था।
सक्सेना के वकील ने उच्च न्यायालय को बताया कि मेट्रोपोलिटन अदालत ने गलत टिप्पणी की कि अगर उन्हें राहत दी जाती है, तो गवाहों के बयान नए सिरे से दर्ज करने पड़ेंगे और इससे मुकदमे में देरी होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि मुकदमे की सुनवाई में शिकायतकर्ता की स्थगन अर्जियों के कारण 94 बार देरी हुई।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
न्यायमूर्ति एम के ठक्कर ने सक्सेना को अंतरिम राहत देते हुए निचली अदालत में उनके खिलाफ मामला लंबित रहने और उनकी याचिका का निस्तारण न होने तक कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
इस याचिका में सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी के उपराज्यपाल पद पर बने रहने तक उनके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई स्थगित करने की अपील खारिज करने के मेट्रोपोलिटन अदालत के आदेश को चुनौती दी है।
अदालत ने राज्य सरकार और शिकायकर्ता पाटकर को भी नोटिस जारी किया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 19 जून की तारीख तय की।
आठ मई को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पी सी गोस्वामी की अदालत ने 10 अप्रैल 2002 के मामले में सक्सेना के खिलाफ सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
आरोप है कि सक्सेना और तीन अन्य आरोपियों ने गांधी आश्रम में आयोजित शांति बैठक के दौरान पाटकर पर कथित रूप से हमला किया था।
सक्सेना के वकील ने उच्च न्यायालय को बताया कि मेट्रोपोलिटन अदालत ने गलत टिप्पणी की कि अगर उन्हें राहत दी जाती है, तो गवाहों के बयान नए सिरे से दर्ज करने पड़ेंगे और इससे मुकदमे में देरी होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि मुकदमे की सुनवाई में शिकायतकर्ता की स्थगन अर्जियों के कारण 94 बार देरी हुई।
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