गुजरात एटीएस ने अलकायदा ‘‘मॉड्यूल’’ का किया भंडाफोड़, अहमदाबाद में चार बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार
punjabkesari.in Monday, May 22, 2023 - 07:21 PM (IST)

अहमदाबाद, 22 मई (भाषा) गुजरात आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने अल-कायदा के एक ‘‘मॉड्यूल’’ का भंडाफोड़ करते हुए चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जो बांग्लादेश से हैं, लेकिन अवैध रूप से अहमदाबाद में रह रहे थे। यह जानकारी एक अधिकारी ने सोमवार को दी।
गुजरात एटीएस के उप महानिरीक्षक दीपन भद्रन ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन के चार सदस्यों को भारत भेजे जाने से पहले बांग्लादेश स्थित उनके आकाओं द्वारा प्रशिक्षित किया गया था।
उन्होंने बताया कि इन सदस्यों को अल-कायदा की अवैध गतिविधियों के लिए धन जुटाने, स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए तैयार करने का काम सौंपा गया था।
भद्रन ने एटीएस मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत अहमदाबाद के विभिन्न हिस्सों से गिरफ्तार किया गया।
अल-कायदा के चार कथित सदस्यों की पहचान मोहम्मद सोजिब, मुन्ना खालिद अंसारी, अजहरुल इस्लाम अंसारी और मोमिनुल अंसारी के रूप में हुई है।
भद्रन ने कहा, ‘‘विशेष गुप्त सूचना के आधार पर, हमने सबसे पहले सोजिब को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया, जो अहमदाबाद के रखियाल इलाके में रहता था। सोजिब ने हमें बताया कि वह और तीन अन्य लोग अल-कायदा नेटवर्क का हिस्सा हैं और बांग्लादेश स्थित अपने आका शरीफुल इस्लाम से निर्देश ले रहे हैं। इस्लाम के माध्यम से, इन युवकों ने बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले में अल-कायदा के संचालन प्रमुख शायबा से मिले थे।’’
भद्रन ने कहा कि एटीएस ने बाद में शहर के नारोल इलाके से मुन्ना, अजहरुल और मोमिनुल को गिरफ्तार किया, जहां वे भारतीय नागरिक बनकर कारखानों में काम कर रहे थे। भद्रन ने कहा कि एटीएस को तीनों के किराए के कमरों से आधार, पैन कार्ड और आतंकी संगठन की मीडिया शाखा अस-साहब मीडिया द्वारा प्रकाशित कुछ साहित्य मिले।
एटीएस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने से पहले, इन युवाओं को उनके आकाओं द्वारा कूट चैट एप्लिकेशन और वीपीएन का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। जाली दस्तावेजों का उपयोग करते हुए, इन आरोपियों ने अपने आधार और पैन कार्ड बनवा लिये। गुजरात के अलावा, उन्होंने अन्य राज्यों के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए संपर्क किया था। हम पता चला है कि वे कुछ युवाओं, कम से कम दो व्यक्तियों को कट्टरपंथी बनाने में सफल रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि एटीएस यह जांच भी करेगी कि उन चारों को भारत-बांग्लादेश सीमा पार करने में किसने मदद की और धन एकत्र करने के उनके तरीके क्या थे। इसके अलावा उनके स्थानीय संपर्क और उनके द्वारा कट्टरपंथी बनाए गए व्यक्तियों की संख्या जैसे पहलुओं की भी गहन जांच की जाएगी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
गुजरात एटीएस के उप महानिरीक्षक दीपन भद्रन ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन के चार सदस्यों को भारत भेजे जाने से पहले बांग्लादेश स्थित उनके आकाओं द्वारा प्रशिक्षित किया गया था।
उन्होंने बताया कि इन सदस्यों को अल-कायदा की अवैध गतिविधियों के लिए धन जुटाने, स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए तैयार करने का काम सौंपा गया था।
भद्रन ने एटीएस मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत अहमदाबाद के विभिन्न हिस्सों से गिरफ्तार किया गया।
अल-कायदा के चार कथित सदस्यों की पहचान मोहम्मद सोजिब, मुन्ना खालिद अंसारी, अजहरुल इस्लाम अंसारी और मोमिनुल अंसारी के रूप में हुई है।
भद्रन ने कहा, ‘‘विशेष गुप्त सूचना के आधार पर, हमने सबसे पहले सोजिब को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया, जो अहमदाबाद के रखियाल इलाके में रहता था। सोजिब ने हमें बताया कि वह और तीन अन्य लोग अल-कायदा नेटवर्क का हिस्सा हैं और बांग्लादेश स्थित अपने आका शरीफुल इस्लाम से निर्देश ले रहे हैं। इस्लाम के माध्यम से, इन युवकों ने बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले में अल-कायदा के संचालन प्रमुख शायबा से मिले थे।’’
भद्रन ने कहा कि एटीएस ने बाद में शहर के नारोल इलाके से मुन्ना, अजहरुल और मोमिनुल को गिरफ्तार किया, जहां वे भारतीय नागरिक बनकर कारखानों में काम कर रहे थे। भद्रन ने कहा कि एटीएस को तीनों के किराए के कमरों से आधार, पैन कार्ड और आतंकी संगठन की मीडिया शाखा अस-साहब मीडिया द्वारा प्रकाशित कुछ साहित्य मिले।
एटीएस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने से पहले, इन युवाओं को उनके आकाओं द्वारा कूट चैट एप्लिकेशन और वीपीएन का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। जाली दस्तावेजों का उपयोग करते हुए, इन आरोपियों ने अपने आधार और पैन कार्ड बनवा लिये। गुजरात के अलावा, उन्होंने अन्य राज्यों के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए संपर्क किया था। हम पता चला है कि वे कुछ युवाओं, कम से कम दो व्यक्तियों को कट्टरपंथी बनाने में सफल रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि एटीएस यह जांच भी करेगी कि उन चारों को भारत-बांग्लादेश सीमा पार करने में किसने मदद की और धन एकत्र करने के उनके तरीके क्या थे। इसके अलावा उनके स्थानीय संपर्क और उनके द्वारा कट्टरपंथी बनाए गए व्यक्तियों की संख्या जैसे पहलुओं की भी गहन जांच की जाएगी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।