गुजरात में आप,एआईएमआईएम ने कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोट को विभाजित किया, भाजपा को मिला लाभ
Friday, Dec 09, 2022 - 12:54 AM (IST)
अहमदाबाद, आठ दिसंबर (भाषा) आम आदमी पार्टी (आप) और असदुद्दीन ओवैसी की अगुआई वाली ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने गुजरात विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यकों के वोट में सेंध लगाते हुए राज्य की विभिन्न सीट पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के मतों के अंतर को काफी कम कर दिया।
अल्पसंख्यक, मुख्य रूप से मुस्लिम पिछले कई दशकों से खासकर 2002 के गोधरा दंगों के बाद से कांग्रेस के वफादार मतदाता रहे हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव एक और पांच दिसंबर को हुए थे और मतगणना आठ दिसंबर को हुई।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2002 के दंगों के बाद ज्यादातर मौकों पर जातियों से परे हिंदुओं के एकजुट वोट पर ध्यान केंद्रित कर चुनावी गणना की है।
उन्होंने कहा कि इससे मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस कभी राज्य में जीत का फॉर्मूला रही सोशल इंजीनियरिंग की अपनी पुरानी रणनीति केएचएएम (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) के घटकों में अपने अल्पसंख्यक वोट को सुरक्षित करने में जुटी रही। हालांकि, आप और एआईएमआईएम के प्रवेश ने न केवल कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोट बैंक को मुश्किल में डाल दिया, बल्कि सत्तारूढ़ भाजपा को भी मदद पहुंचाई, जिसने चुनाव में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
अल्पसंख्यक, मुख्य रूप से मुस्लिम पिछले कई दशकों से खासकर 2002 के गोधरा दंगों के बाद से कांग्रेस के वफादार मतदाता रहे हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव एक और पांच दिसंबर को हुए थे और मतगणना आठ दिसंबर को हुई।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2002 के दंगों के बाद ज्यादातर मौकों पर जातियों से परे हिंदुओं के एकजुट वोट पर ध्यान केंद्रित कर चुनावी गणना की है।
उन्होंने कहा कि इससे मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस कभी राज्य में जीत का फॉर्मूला रही सोशल इंजीनियरिंग की अपनी पुरानी रणनीति केएचएएम (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) के घटकों में अपने अल्पसंख्यक वोट को सुरक्षित करने में जुटी रही। हालांकि, आप और एआईएमआईएम के प्रवेश ने न केवल कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोट बैंक को मुश्किल में डाल दिया, बल्कि सत्तारूढ़ भाजपा को भी मदद पहुंचाई, जिसने चुनाव में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा था।
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