रिश्वत मामला: अदालत ने गुजरात आईएएस अधिकारी के ''''बिचौलिये'''' को न्यायिक हिरासत में भेजा

punjabkesari.in Saturday, May 21, 2022 - 10:07 PM (IST)

अहमदाबाद, 21 मई (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने शनिवार को गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी के राजेश की ओर से कथित तौर पर रिश्वत की रकम इकट्ठा करने के आरोप में गिरफ्तार एक ''बिचौलिये'' को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
विशेष न्यायाधीश सी के चौहान ने मोहम्मद रफीक मेमन को न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जिसने कथित तौर पर 2011 बैच के आईएएस अधिकारी की ओर से रिश्वत के पैसे इकट्ठा करने के लिए एक बिचौलिये के रूप में काम किया था।
सीबीआई ने शुक्रवार को उसकी एक दिन की रिमांड खत्म होने के बाद उसे अदालत में पेश करते हुए और दस दिन की रिमांड मांगी। अदालत ने सीबीआई की 10 दिन की हिरासत की याचिका खारिज करते हुए आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
जांच एजेंसी द्वारा मामले के मुख्य आरोपी राजेश को गिरफ्तार किया जाना अभी बाकी है, जो गांधीनगर में गुजरात सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग में संयुक्त सचिव हैं।
केंद्रीय एजेंसी ने अदालत को बताया कि एक दिन की हिरासत के दौरान, आरोपी के साथ अपने संबंध और उनके द्वारा रची गई ‘‘गहरी आपराधिक साजिश" के मुद्दे पर पूछताछ के दौरान मेमन ने सहयोग नहीं किया।
एजंसी ने कहा कि मेमन की हिरासत की जरूरत है, क्योंकि वह अपराध की स्पष्ट तस्वीर पेश करने के लिए मुख्य आरोपी और कई अन्य लोगों के साथ उसका सामना करवाना चाहते हैं।
राजेश और मेमन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 465 और 471 (जालसाजी), 120 (बी) (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
सीबीआई ने शुक्रवार को कहा था कि उसने राजेश के खिलाफ रिश्वत के आरोपों के सिलसिले में बृहस्पतिवार रात उसके आवास और अन्य परिसरों की तलाशी ली थी।
सीबीआई ने एक बयान में कहा कि गांधीनगर में नौकरशाह के आवास और सूरत में कुछ अन्य परिसरों के साथ-साथ आंध्र प्रदेश में उनके पैतृक स्थान पर तलाशी ली गई।
केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि हाल ही में सीबीआई को शिकायत मिली थी कि सुरेंद्रनगर जिले के जिला अधिकारी के रूप में काम करते हुए राजेश ने कथित तौर पर भूमि सौदों में और अपात्र व्यक्तियों को हथियार लाइसेंस देने के लिए रिश्वत ली थी।
शिकायत में कहा गया कि रिश्वत का पैसा सूरत के एक व्यापारी मेमन के बिचौलिए के जरिए उन तक पहुंचता था।



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