साबरमती नदी में छोड़े जाने वाले पानी के रिकार्ड में गड़बड़ी चिंताजनक: अदालत
Thursday, Oct 28, 2021 - 12:17 AM (IST)
अहमदाबाद, 27 अक्टूबर (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा है कि यह ''''बहुत परेशान'''' करने वाला है कि यहां साबरमती नदी में छोड़े जाने से पहले प्रदूषित पानी को साफ करने के लिए स्थापित जल-मल शोधन इकाइयों (एसटीपी) की प्रयोगशालाएं रिकॉर्ड की गड़बड़ी में सलिप्त हैं। अदालत ने स्थानीय नगर निकाय से इस मुद्दे को देखने के लिए कहा।
अदालत में स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवायी के दौरान इस तरह की गड़बड़ी का खुलासा नदी में प्रदूषण की जांच के लिए अदालत द्वारा गठित एक समिति की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट से हुआ।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति वैभवी नानावती की खंडपीठ ने एक आदेश में अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) को सभी एसटीपी का वैज्ञानिक संचालन सुनिश्चित करने और साबरमती नदी में सीवेज बहाने वाली नालियों के लिए वहीं पर उपचार किए जाने के तरीके तलाशने का निर्देश दिया। अदालत ने यह निर्देश बुधवार को जारी एक ऑनलाइन आदेश में दिया।
पीठ ने 21 अक्टूबर को दिए आदेश में कहा, '''' यह बहुत परेशान करने वाली बात है कि अहमदाबाद नगर निगम द्वारा संचालित और प्रबंधित एसटीपी की प्रयोगशालाओं को रिकॉर्ड में गड़बड़ी करने में लिप्त पाया गया।''''
अदालत स्वत: संज्ञान वाली उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है जो कि मीडिया में आई उन खबरों पर आधारित है जिसमें कहा गया है कि प्रदूषित पानी को निर्धारित मानदंडों के अनुसार उपचार किए बिना ही साबरमती नदी में बहाया जाता है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
अदालत में स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवायी के दौरान इस तरह की गड़बड़ी का खुलासा नदी में प्रदूषण की जांच के लिए अदालत द्वारा गठित एक समिति की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट से हुआ।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति वैभवी नानावती की खंडपीठ ने एक आदेश में अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) को सभी एसटीपी का वैज्ञानिक संचालन सुनिश्चित करने और साबरमती नदी में सीवेज बहाने वाली नालियों के लिए वहीं पर उपचार किए जाने के तरीके तलाशने का निर्देश दिया। अदालत ने यह निर्देश बुधवार को जारी एक ऑनलाइन आदेश में दिया।
पीठ ने 21 अक्टूबर को दिए आदेश में कहा, '''' यह बहुत परेशान करने वाली बात है कि अहमदाबाद नगर निगम द्वारा संचालित और प्रबंधित एसटीपी की प्रयोगशालाओं को रिकॉर्ड में गड़बड़ी करने में लिप्त पाया गया।''''
अदालत स्वत: संज्ञान वाली उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है जो कि मीडिया में आई उन खबरों पर आधारित है जिसमें कहा गया है कि प्रदूषित पानी को निर्धारित मानदंडों के अनुसार उपचार किए बिना ही साबरमती नदी में बहाया जाता है।
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