17 साल के बच्चे ने NASA में इंटर्नशिप करते हुए तीसरे दिन ही खोज ली नई दुनिया

punjabkesari.in Tuesday, Jan 14, 2020 - 01:58 PM (IST)

गैजेट डेस्कः कुछ लोगों में अपनी जिंदगी में कुछ ऐसा करने का जुनून सवार रहता है कि अपने काम से वो पूरी दुनिया को हैरत में डाल देते हैं। जब जिंदगी में कुछ बड़ा करने की ठान लो तो उम्र उसके आड़े नहीं आ सकती। कुछ ऐसा ही कर दिखाया 17 साल के लड़के ने। अमेरिका के रहने वाले 17 साल के वोल्फ ककियर ने 2019 में हाईस्कूल पूरा किया था। जिस उम्र में बच्चे वीडियो गेम्स आदि में बिजी रहते हैं, उस उम्र में वोल्फ ने एक नई दुनिया खोज ली। वोल्फ नासा के गोडार्ड स्पेस सेंटर में इंटर्नशिप कर रहा था। हाईस्कूल पास आउट के बाद वोल्फ इंटर्नशिप करने के लिए मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में स्थित गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर गया। इंटर्नशिप के दौरान उसे सबजेक्ट मिला था- सितारों और ग्रहों से निकलने वाली रोशनी का अध्ययन करना।

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वोल्फ ने गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में नासा ट्रांसजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट की मदद से अपने सबजेक्ट पर काम शुरू किया। वोल्फ के मुताबिक वह सितारों और ग्रहों से निकलने वाली रोशनी का अध्ययन करने के साथ-साथ दो ग्रहों वाली दुनिया को खोज रहा था। वोल्फ ने बताया कि उसे अपने सब्जेट पर काम करते हुए अभी तीन दिन ही हुए थे कि उसे TOI 1388 सिस्टम से एक सिग्नल मिला। उसने कहा कि पहले उसे लगा कि यह कोई अंतरिक्षीय ग्रहण है. लेकिन उसकी टाइमिंग कुछ गड़बड़ है. जब मैंने जांच की और आंकड़ों को मिलाया तो पता चला कि वह ग्रह है।

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क्या है TOI 1388
TOI 1388 एक बाइनरी स्टार सिस्टम है। यह पृथ्वी से करीब 1300 प्रकाश वर्ष दूर मौजूद पिक्टर नक्षत्र में है, TOI 1388बी ग्रह अपनी पृथ्वी से 6.9 गुना बड़ा है और यह अपने सूर्य से बेहद करीब है। वोल्फ ने बताया कि पहले उसे लगा यह तारों का एक गुच्छा है। जब इसकी गहनता से जांच की तो पता चला कि यह बोनाफाइड ग्रह है। वोल्फ ने कहा कि उसे अंतरिक्ष में 100 से ज्यादा चमकीली चीजें दिखाई पड़ी और उसने सभी चमकीली चीजों पर काम किया। तभी उसको पता चला कि वहां पर भी एक ग्रह है।

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वोल्फ ने बताया कि TOI 1388 हमारे सूर्य से करीब 10 फीसदी ज्यादा बड़ा है। TOI 1388 का हर 15 दिन में अपने सूर्य का एक चक्कर लगाता है और यह उससे एक तिहाई ज्यादा ठंडा है। TOI 1388 नेपच्यून और शनि ग्रह के बीच के आकार का है। वोल्फ ने अपनी इस खोज पर गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एक आर्टिकल भी लिखा है जो 6 जनवरी को हुए 235वें अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी मीटिंग में प्रदर्शित हुआ।


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Seema Sharma

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